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हाइलाइट्स
- कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में प्रशासन की कार्रवाई।
- जबलपुर में कटारिया फार्मा के खिलाफ जांच जारी।
- गोदाम में दवाओं का स्टॉक रखने की नहीं ली थी अनुमति।
MP Cough Syrup Children Deaths Case: मध्य प्रदेश में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड के बाद सरकार और प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। छिंदवाड़ा और बैतूल में कफ सिरप पीने के बाद किडनी संक्रमण से अब तक 25 बच्चों की जान जा चुकी है। अब मामले में जबलपुर के कटारिया फार्मास्युटिकल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई चल रही है। कफ सिरप और अन्य दवाओं का स्टॉक रखने वाली फर्म कटारिया फार्मास्युटिकल के ऑफिस और गोदामों पर शनिवार को जांच की गई। इसी फार्मा से छिंदवाड़ा में दवा की सप्लाई की गई थी। वहीं जबलपुर से भेजे गए सिरप के सैंपलों में भी दूषित केमिकल की पुष्टि हुई है।
खाद्य एवं औषधि विभाग ने शनिवार को फार्मा के ऑफिस में खरीदी-बिक्री के रिकॉर्ड की जांच की। जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई। जांच में सामने आया है कि फर्म ने प्रशासन से गोदाम में दवाओं का स्टॉक रखने की अनुमति नहीं ली थी। साथ ही फर्म से कोल्ड्रिफ कफ सिरप के 26 सैंपल जो जांच के लिए भेजे थे, वह अमानक पाए गए है,सिरप की डाईएथिलीन ग्लायकॉल पाया गया है। अब प्रशासन ने फर्म का ऑफिस और गोदाम सील करते हुए नोटिस थमाया है।
दुकान-गोदाम निरीक्षण में मिलीं गंभीर खामियां
दरअसल, शुक्रवार को खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने जबलपुर स्थित कटारिया फार्मास्युटिकल के दुकान और गोदाम का निरीक्षण किया। इस दौरान फर्म संचालक ने दुकान का लाइसेंस और कुछ अन्य दस्तावेज तो प्रस्तुत कर दिए, लेकिन गोदाम से जुड़े आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सके, जबकि गोदाम में बड़ी मात्रा में दवाओं का स्टॉक पाया गया।
रिकॉर्ड नहीं दे पाए फर्म संचालक
विभाग की जांच टीम ने शनिवार को भी फर्म से खरीदी-बिक्री के संबंधित रिकॉर्ड मांगा, लेकिन संचालक ने पूरा रिकॉर्ड नहीं दिखाया। विभाग ने इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए कस्टडी ऑर्डर जारी कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस मामले में जांच "औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940" के तहत की जा रही है। साथ ही विभाग ने फर्म संचालक से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने ऐसी दवा क्यों बेची, जो मानक गुणवत्ता की नहीं थी और जिससे कई मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है।
खबर अपडेट हो रही है।
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