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MP CM Protocol
हाइलाइट्स
- बिना मंजूरी पोर्टल पर दर्ज नहीं होगी घोषणा
- घोषणा-निर्देश को कलेक्टर को समझना होगा
- घोषणा में निर्माण की राशि भी नहीं लिखेंगे
MP Chief Minister Mohan Yadav Protocol Collector CM Office: मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल में बड़ा बदलाव किया गया है। जिसके मुताबिक, अब मुख्यमंत्री की हर बात को घोषणा नहीं मान सकेंगे। इसके लिए कलेक्टर को सीएम ऑफिस से मंजूरी लेना होगी। उसके बाद ही पोर्टल पर दर्ज किया जा सकेगा।
कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस के आखिरी दिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सभी कलेक्टरों को नए प्रोटोकॉल से अवगत कराया। उन्होंने कहा हैं कि अब कलेक्टर एक नए 'सीएम प्रोटोकॉल' का पालन करेंगे। यह भी कहा कि उनकी किसी भी घोषणा को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएम ऑफिस) की मंजूरी लेकर ही पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा।
जानें और प्रोटोकॉल में क्या बदलाव
- कलेक्टर मंच के बाहर सीएम द्वारा कही गई बातों को निर्देश मानने की स्वतंत्रत नहीं रहेंगे।
- उन्हें घोषणा और निर्देश (जैसे सर्वेक्षण करना, प्रशिक्षण देना, सरलीकरण करना सहित अन्य) के बीच अंतर को सख्ती से समझना होगा।
- वन भूमि आवंटन, नया विकास खंड बनाने, रेलवे-एनएचएआई जैसे नीतिगत या केंद्र से जुड़े मसलों से संबंधित कोई भी बात को घोषणा में जोड़ सकेंगे।
- घोषणाओं में अनावश्यक रूप से तकनीकी शब्दों और संख्याओं को नहीं जोड़ सकेंगे। क्योंकि एस्टीमेट बनाने या काम शुरू होने पर ये आंकड़े अक्सर बदल जाते हैं।
- सीएम की वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान कैमरा चालू रखना अनिवार्य होगा।
- हर विधानसभा में वीडियो कांफ्रेंसिंग सिस्टम लगाया जाएगा, जिसके लिए 5 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं।
प्रशासनिक दक्षता पर बल
- समाधान ऑनलाइन में मामलों का निपटारा केवल उपलब्धि न माना जाए, बल्कि देरी के कारणों पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
- ए प्लस और ए श्रेणी के पत्रों का निपटारा निर्धारित समय-सीमा में हो।
- सीएम स्वेच्छा अनुदान की स्वीकृति के 48 घंटे के भीतर उसका भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
कार्यक्रम प्रबंधन:
जिले में मीटिंग से पहले कलेक्टरों को डाइस पर बैठने वाले व्यक्ति, बैंक ड्रॉप, और मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम की जानकारी देनी होगी।
मुख्यमंत्री के दौरे से पहले कार्यक्रम स्थल का लेआउट, उनके भाषण के मुख्य बिंदु, और संभावित विवादास्पद (कंट्रोवर्सी) विषयों की जानकारी देना जरूरी होगा।
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