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Shri Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज, CM मोहन यादव करेंगे श्रीकृष्ण से जुड़े एमपी के तीन स्थलों के दर्शन

Shri Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महलपुर पाठा, अमझेरा, जानापाव और उज्जैन के सांदीपनि आश्रम सहित श्रीकृष्ण से जुड़े प्रमुख पर्यटन स्थलों पर जाएंगे और दर्शन करेंगे। यह यात्रा उनके ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ अभियान का हिस्सा है।

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Vikram Jain
Shri Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज, CM मोहन यादव करेंगे श्रीकृष्ण से जुड़े एमपी के तीन स्थलों के दर्शन

Shri Krishna Janmashtami MP CM Mohan Yadav tour: मध्यप्रदेश सरकार इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को भव्य तरीके से मना रही है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों महलपुर पाठा (रायसेन), अमझेरा (धार), और जानापाव (इंदौर) का दौरा करेंगे। वे प्राचीन कृष्ण मंदिरों में दर्शन कर करेंगे। साथ ही प्राचीन मंदिरों में श्रीकृष्ण भगवान के चरणों में नमन कर, प्रदेश की जनता के लिए समृद्धि और शांति की कामना भी करेंगे। साथ ही रात में उज्जैन के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में शामिल होंगे। सीएम महलपुर पाठा गांव में आयोजित “हलधर महोत्सव एवं लीला पुरुषोत्तम का प्रकटोत्सव” में शामिल होंगे।

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यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विरासत से विकास' संकल्प से प्रेरित है। उनके दौरे में उज्जैन का सांदीपनि आश्रम, गोपाल मंदिर और महिदपुर के निकट नारायणा धाम भी शामिल हैं, जो श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं के जीवंत साक्षी रहे हैं। इन स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने 'श्रीकृष्ण पाथेय न्यास' का गठन किया है। मुख्यमंत्री की यह पहल प्रदेश की संस्कृति, आस्था और इतिहास से नई पीढ़ी को जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम है। यह यात्रा ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ अभियान का भाग है, जिसका उद्देश्य युवाओं को ऐतिहासिक विरासत से जोड़ना है।

युवाओं को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने की पहल

सीएम मोहन मोहन यादव जन्माष्टमी को खास बनाते हुए युवाओं को भारत के समृद्ध इतिहास से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि नई पीढ़ी भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा कर हमारे गौरवशाली अतीत को नजदीक से जाने और समझे।

धार जिले के अमझेरा में रुक्मणी हरण का प्रसंग होने के साथ ही युद्ध का वर्णन भी मिलता है। उज्जैन के गोपाल मंदिर का द्वार सोमनाथ का द्वार है जिसे कंधार ले जाया गया था और बाद में सिंधिया के शासनकाल में वापस लाने का कार्य भी किया गया। मुख्यमंत्री का मानना है कि युवाओं को हमारे गौरवशाली इतिहास की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए स्कूल-कॉलेज के छात्रों को ऐसे ऐतिहासिक स्थानों पर शैक्षणिक भ्रमण कराया जाता है, ताकि वे अतीत से जुड़ सकें और प्रेरणा ले सकें।

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महलपुर पाठा का प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जन्माष्टमी पर रायसेन जिले के 13वीं शताब्दी में बने महलपुर पाठा मंदिर में दर्शन करेंगे। यह मंदिर खास इसलिए है क्योंकि यहां राधा-कृष्ण और रुक्मणि की मूर्ति एक ही श्वेत पत्थर पर बनी है। मंदिर के पास परमार वंशकालीन किला, 51 बावड़ियां और प्राचीन मूर्तियां भी हैं। मकर संक्रांति पर यहां भव्य मेला और विष्णु यज्ञ होता है। इस मंदिर पर लगा एक शिलालेख इसके संवत 1354 अर्थात वर्ष 1297 ई में निर्मित किए जाने की जानकारी देता है।

साथ ही मकर संक्रांति पर यहां बड़ा मेला भी लगता है। यहां विष्णु यज्ञ भी होता है। मंदिर के पास स्थित किले में 51 बावड़ियां हैं। पास के जंगल से जैन परंपरा के भगवान आदिनाथ की मूर्ति मिली थी जो अब देवनगर में स्थापित है। मंदिर के पास में शिवलिंग, नंदी, गणेश और नाग देवता सहित नटराज की मूर्तियां हैं।

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धार के अमझेरा का महत्व

धार जिले के अमझेरा में 7 हजार साल पुराना मंदिर है। जिससे जुड़ी कई मान्यता हैं। रुकमणि हरण के बारे में बताया जाता है कि अमझेरा से जुड़ा भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणि के विवाह का महत्वपूर्ण प्रसंग है। यह प्रसिद्ध प्रसंग भागवत पुराण और अन्य हिन्दू धर्मग्रंथों में भी आता है। इसके अनुसार रुकमणि, जो विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं, श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन उनके भाई रुक्मी, शिशुपाल से उनका विवाह कराना चाहते थे। रुकमणि ने श्रीकृष्ण को एक संदेश भेजकर उनसे विवाह करने का आग्रह किया। जब शिशुपाल बारात लेकर विदर्भ पहुंचा, तो श्रीकृष्ण ने रुकमणि का हरण किया और उन्हें द्वारका ले गए, जहां उन्होंने उनसे विवाह किया।

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 भगवान परशुराम की जन्मस्थली है जानापाव

जानापाव इंदौर जिले में स्थित है, जो भगवान परशुराम की जन्मस्थली मानी जाती है। इस स्थान पर परशुराम जी ने भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है।

गोपाल मंदिर और सांदीपनि आश्रम का महत्व

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जन्माष्टमी पर उज्जैन के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर और सांदीपनि आश्रम का दौरा करेंगे। गोपाल मंदिर का द्वार कभी सोमनाथ मंदिर से लूटा गया था, जिसे बाद में भारत लाकर स्थापित किया गया। यह मराठा शैली में बना मंदिर इतिहास की गवाही देता है। सांदीपनि आश्रम वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी। यहां श्रीकृष्ण ने 64 कलाएं और 18 पुराण सीखे थे। डॉ. यादव ने इन स्थलों को विकसित करने और युवाओं को उनसे जोड़ने की योजना पर जोर दिया है।

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