MP CM Big Decision: मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के जल को निर्मल करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। सीएम मोहन यादव ने सख्त निर्देश दिए हैं कि नर्मदा के किनारे बसे शहरों के आसपास मांस-मदिरा का उपयोग नहीं किया जाए। सीएम ने ये भी कहा कि अमरकंटक में नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से लेकर प्रदेश की सीमा में जहां-जहां नर्मदा नदी बह रही है, वहां का सीवेज नर्मदा में न मिले।
मांस-मदिरा पर लगेगा प्रतिबंध
CM यादव ने नर्मदा समग्र विकास पर मंत्रिमंडल समिति की बैठक में कहा कि अमरकंटक में नर्मदा नदी के उद्गम स्थलों से दूर सैटेलाइट सिटी डेवलप की जाए। इसके सथ ही मशीनों से खनन गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। अमरकंटक से शुरू होकर खंबात की खाड़ी में मिलने वाली 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा की मध्य प्रदेश में 1079 किलोमीटर है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा नर्मदा नदी के जल को निर्मल एवं प्रवाह को अविरल रखने तथा समग्र विकास के लिए कार्ययोजनाओं की प्रगति की समीक्षा
महत्वपूर्ण दिशा- निर्देश
⏩ नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक का प्रबंधन 'अमरकंटक विकास प्राधिकरण' गठित कर किया जाए।
⏩नर्मदा संरक्षण के… pic.twitter.com/vHIczIRZwX
— Jansampark MP (@JansamparkMP) September 13, 2024
फैसले का यहां होगा असर
MP सरकार के इस नए फैसले का असर नर्मदा किनार बसे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1138 गांव और 1126 घाटों पर होगा। बता दें कि नर्मदा के किनारे 430 प्राचीन शिव मंदिर हैं और 2 शक्तिपीठ हैं। कई स्थानों और घाटों के प्रति आम लोगों की आस्था और मान्यताएं हैं।
(नर्मदा के प्रमुख घाट…)
ओंकारेश्वर(खंडवा)
महेश्वर (खरगोन)
जबलपुर में भेड़ाघाट और ग्वारीघाट
अमरकंटक(अनूपपुर)
डिंडोरी
नरसिंहपुर का प्रसिद्ध ब्रह्मांड (बरमान) घाट
नर्मदापुरम
देवास (नेमावर)
बड़वानी।
ड्रोन से रखी जाएगी नजर
सीएम मोहन यादव ने निर्देश देते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा के आसपास चलने वाली साली गतिविधियों पर सैटेलाइट इमेज और ड्रोन से नजर रखी जाए। GIS से नदी के दोनों तरफ विस्तार के लिए जगह चिह्नित की जाए। क्षेत्र के संरक्षण और विकास को देखते हुए विभाग समन्वय के साथ कार्य योजना तैयार करें। साथ ही नर्मदा परिक्रमा को धार्मिक पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित किया जाए।
सीएम ने परिक्रमा पथ पर होम स्टे, भोजन की व्यवस्था और इन्फॉर्मेशन सेंटर से स्थानीय युवाओं को जोड़ने के लिए कहा, ताकि ये उनके लिए भी एक रोजगार का साधन बने। नदी के दोनों तरफ 5 किमी तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाए। नर्मदा के समग्र विकास के लिए यह पहली बैठक थी। अगली बैठक नवंबर में फिर होगी।
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