MP charging high fees Action 5 schools: मध्यप्रदेश के जबलपुर में प्रशासन ने फिर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई की है। ज्यादा फीस वसूलने वाले 5 निजी स्कूलों के 52 हजार छात्रों को फीस वापस करने के आदेश किए हैं। इसके बाद 31 करोड़ 51 लाख रुपए की राशि छात्रों को वापस की करने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने मनमानी करने वाले स्कूलों पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) November 19, 2024
31 करोड़ 51 लाख रुपए वापसी के निर्देश
जानकारी के मुताबिक शिकायतों के बाद जबलपुर प्रशासन ने ज्यादा फीस वसूलने वाले 5 प्राइवेट स्कूलों के फी्स स्ट्रक्चर को अवैधानिक घोषित किया। साथ ही शैक्षणिक सत्र 2024-25 में की गई फीस वृद्धि को भी अमान्य कर दिया। इसके बाद इन पांच स्कूलों के 52 हजार छात्रों से ज्यादा ली गई करीब 31 करोड़ 51 लाख रुपए की राशि को वापस करने के निर्देश दिए है।
दो महीने पहले 8 निजी स्कूलों पर हुई थी कार्रवाई
जबलपुर प्रशासन ने 5 सितंबर 2024 यानी दो महीने पहले भी 8 निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिसमें बच्चों से वसूली गई करीब 54 करोड़ रुपए की अतिरिक्त फीस वापस करने के निर्देश दिए थे। बताया गया था इन स्कूलों ने गैर कानूनी तरीके से फीस वसूली थी। साथ ही इस मनमानी के लिए हर स्कूल पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।
8 स्कूलों के खिलाफ आदेश जारी
जबलपुर जिला समिति ने एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में 8 स्कूलों का नाम है। जिसमें इन स्कूलों से कहा गया है कि वह छात्र-छात्राओं की 54 करोड़ रुपए की राशि वापस करें। यह राशि इन स्कूलों ने छात्रों से वसूली थी। जिला समिति के अनुसार यह राशि नियम विरुद्ध तरीके से वसूली गई थी। इसके साथ ही जिला समिति ने इन सभी 8 स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का फाइन भी लगाया था।
इन 8 स्कूलों पर हुई थी कार्रवाई
- माउंट लिटरा जी स्कूल जबलपुर
- विजडम वैली स्कूल शास्त्री नगर
- विजडम वैली स्कूल कटंगास्प्रिंग डे स्कूल आधारताल
- अजय सत्य प्रकाश स्कूल पनागर
- सत्य प्रकाश स्कूल पॉलीपटर
- क्राइस्ट चर्च जबलपुर
- सेंट अलेसिस पनागर
- सेंट जोसेफ ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट
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स्कूलों के लिए फीस निर्धारित
जिला शिक्षा समिति ने इन सभी स्कूलों के लिए नई फीस भी निर्धारित की थी। स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस और जिला समिति द्वारा ली जा रही फीस में हर क्लास में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 रुपए तक का फर्क था। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि निजी स्कूल फीस बढ़ा रहा हैं तो उसका कोई वाजिब कारण उन्हें बताना होगा। यदि स्कूल में फैसिलिटी बढ़ाई जा रही है या स्कूल के किसी दूसरे जायज खर्चे में यह पैसा खर्च किया जा रहा है तो ही स्कूल अपनी फीस बढ़ा सकता है। इन सभी स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने पाया था कि इन स्कूलों ने फीस बढ़ाने के पीछे कोई तार्किक बात नहीं की है, बल्कि इसके जरिए लाभ उठाया है। निजी विद्यालय अधिनियम में यह स्पष्ट है कि स्कूल लाभ का व्यापार नहीं सेवा का व्यापार है।
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