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एमपी में 5 निजी स्कूलों पर कार्रवाई: जबलपुर में 52 हजार छात्रों को फीस राशि वापसी के ऑर्डर, 2 लाख रुपए का फाइन

MP charging high fees Action 5 schools: जबलपुर में निजी स्कूलों से 52 हजार छात्रों को फीस राशि वापसी के ऑर्डर, 2 लाख रुपए का फाइन भी लगाया गया

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BP Shrivastava
एमपी में 5 निजी स्कूलों पर कार्रवाई: जबलपुर में 52 हजार छात्रों को फीस राशि वापसी के ऑर्डर, 2 लाख रुपए का फाइन

MP charging high fees Action 5 schools: मध्यप्रदेश के जबलपुर में प्रशासन ने फिर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई की है। ज्यादा फीस वसूलने वाले 5 निजी स्कूलों के 52 हजार छात्रों को फीस वापस करने के आदेश किए हैं। इसके बाद 31 करोड़ 51 लाख रुपए की राशि छात्रों को वापस की करने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने मनमानी करने वाले स्कूलों पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

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https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1858865765555810759

इन स्कूलों ने बढ़ा दी थी बेहतहाशा फीस

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने बताया कि सेंट अगस्टीन आदित्य कॉन्वेंट, अशोका हॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेंट्रल एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल और एमजीएम हायर सेकेंडरी स्कूल मैनेजमेंट ने 2024-25 के लिए लोअर केजी से लेकर 12th तक की फीस में बेतहाशा वृद्धि कर दी थी। इसकी शिकायत मिलने पर जिला जांच समिति ने मामले की तहकीकात की, पाया कि पेरेंट्स से अनाप- शनाप फीस वसूली जा रही है।

स्कूल प्रबंधनों पर लगाया 2-2 लाख रुपए का फाइन

डीईओ घनश्याम सोनी ने बताया कि इन पांचों स्कूलों के प्रबंधन पर 2-2 लाख रुपए का फाइन लगाया गया है। ये राशि 30 दिन में जमा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 के तहत गठित जिला समिति अब तक जिले के 25 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है। पेरेंट्स से अधिक वसूली गए 160 करोड़ की राशि लौटाने के निर्देश जारी किए हैं।

इन स्कूलों को वापस करनी होगी इतनी फीस

  • सेंट अगस्टीन विद्यालय सगड़ा: 4.76 करोड़ रुपए
  • सेंट्रल एकेडमी हायर सेकेंडरी विजयनगर: 3.86 करोड़ रुपए
  • एमजीएम हायर सेकेंडरी हाथीताल: 7.19 करोड़ रुपए
  • आदित्य कॉन्वेंट स्कूल चेरीताल: 5.03 करोड़ रुपए
  • अशोका हॉल जूनियर और हाईस्कूल विजयनगर: 10.67 करोड़ रुपए
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31 करोड़ 51 लाख रुपए वापसी के निर्देश

जानकारी के मुताबिक शिकायतों के बाद जबलपुर प्रशासन ने ज्यादा फीस वसूलने वाले 5 प्राइवेट स्कूलों के फी्स स्ट्रक्चर को अवैधानिक घोषित किया। साथ ही शैक्षणिक सत्र 2024-25 में की गई फीस वृद्धि को भी अमान्य कर दिया। इसके बाद इन पांच स्कूलों के 52 हजार छात्रों से ज्यादा ली गई करीब 31 करोड़ 51 लाख रुपए की राशि को वापस करने के निर्देश दिए है।

दो महीने पहले 8 निजी स्कूलों पर हुई थी कार्रवाई

जबलपुर प्रशासन ने 5 सितंबर 2024 यानी दो महीने पहले भी 8 निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिसमें बच्चों से वसूली गई करीब 54 करोड़ रुपए की अतिरिक्त फीस वापस करने के निर्देश दिए थे। बताया गया था इन स्कूलों ने गैर कानूनी तरीके से फीस वसूली थी। साथ ही इस मनमानी के लिए हर स्कूल पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।

8 स्कूलों के खिलाफ आदेश जारी

जबलपुर जिला समिति ने एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में 8 स्कूलों का नाम है। जिसमें इन स्कूलों से कहा गया है कि वह छात्र-छात्राओं की 54 करोड़ रुपए की राशि वापस करें। यह राशि इन स्कूलों ने छात्रों से वसूली थी। जिला समिति के अनुसार यह राशि नियम विरुद्ध तरीके से वसूली गई थी। इसके साथ ही जिला समिति ने इन सभी 8 स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का फाइन भी लगाया था।

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इन 8 स्कूलों पर हुई थी कार्रवाई

  • माउंट लिटरा जी स्कूल जबलपुर
  • विजडम वैली स्कूल शास्त्री नगर
  • विजडम वैली स्कूल कटंगास्प्रिंग डे स्कूल आधारताल
  • अजय सत्य प्रकाश स्कूल पनागर
  • सत्य प्रकाश स्कूल पॉलीपटर
  • क्राइस्ट चर्च जबलपुर
  • सेंट अलेसिस पनागर
  • सेंट जोसेफ ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट

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स्कूलों के लिए फीस निर्धारित

जिला शिक्षा समिति ने इन सभी स्कूलों के लिए नई फीस भी निर्धारित की थी। स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस और जिला समिति द्वारा ली जा रही फीस में हर क्लास में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 रुपए तक का फर्क था। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि निजी स्कूल फीस बढ़ा रहा हैं तो उसका कोई वाजिब कारण उन्हें बताना होगा। यदि स्कूल में फैसिलिटी बढ़ाई जा रही है या स्कूल के किसी दूसरे जायज खर्चे में यह पैसा खर्च किया जा रहा है तो ही स्कूल अपनी फीस बढ़ा सकता है। इन सभी स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने पाया था कि इन स्कूलों ने फीस बढ़ाने के पीछे कोई तार्किक बात नहीं की है, बल्कि इसके जरिए लाभ उठाया है। निजी विद्यालय अधिनियम में यह स्पष्ट है कि स्कूल लाभ का व्यापार नहीं सेवा का व्यापार है।

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