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हाइलाइट्स
- MES के 3 इंजीनियरों और ठेकेदार को रिश्वत लेते गिरफ्तार।
- जबलपुर CBI ने 80 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा।
- टेंडर स्वीकृति के बावजूद वर्क ऑर्डर जारी करने मांगी थी रिश्वत।
Madhya Pradesh Jabalpur CBI Action MES bribery Case: मध्यप्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। लोकायुक्त के बाद अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) भी एक्टिव मोड में आ गई है। जबलपुर सीबीआई ने सागर स्थित मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES) के तीन इंजीनियरों और एक ठेकेदार को 80 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। पूरा मामला ठेका मिलने के बावजूद वर्क ऑर्डर जारी न करने और उसके बदले घूस मांगने से जुड़ा है। सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और BNS की धारा 61 के तहत केस दर्ज किया गया है। विशेष अदालत ने सभी को 15 सितंबर तक सीबीआई रिमांड पर भेजा है। वहीं कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
रिश्वतखोरी के खिलाफ CBI की कार्रवाई
दरअसल, जबलपुर सीबीआई ने रिश्वतखोरी के खिलाफ CBI की बड़ी कार्रवाई की है।
सीबीआई की टीम ने सागर के मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस पदस्थ तीन इंजीनियर राकेश साहू, नीतेश कुमार सिंह और दीपक को 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। आरोपियों में ठेकेदार राजेश मिश्रा भी शामिल है। ये राशि एक ठेकेदार से वर्क ऑर्डर दिलाने के एवज में मांगी गई थी, जबकि ठेका पहले ही स्वीकृत हो चुका था।
ठेका मिला, फिर भी नहीं मिला वर्क ऑर्डर
उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी अजय कुमार, जो बालाजी एसोसिएट्स कंपनी के मैनेजर हैं, ने शिकायत की थी कि उन्हें वर्ष 2025-26 के लिए MES सागर में ₹26.50 लाख का बीएंडआर की रिपेयरिंग व मेंटेनेंस का ठेका मिला था। बावजूद इसके वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया जा रहा था। सागर निवासी ठेकेदार राजेश मिश्रा ने मदद के बदले ₹1 लाख की मांग की, जो ₹80,000 में तय हुआ।
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रिश्वतखोर इंजीनियरों के खिलाफ केस
मामले में मैनेजर अजय कुमार ने सीबीआई पुलिस अधीक्षक सतीष कुमार राठी से शिकायत की थी। जांच में शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद CBI ने रिश्वत लेते हुए सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों को CBI की विशेष अदालत जबलपुर में पेश किया गया, जहां उन्हें 15 सितंबर तक रिमांड पर भेज दिया गया है। केस भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और BNS की धारा 61 के तहत दर्ज किया गया है।
क्या है भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम?
यह अधिनियम सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई रिश्वतखोरी और अनियमितताओं को रोकने के लिए लागू है। इसमें आरोपी को कठोर सजा और आर्थिक दंड दोनों का प्रावधान है।
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