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MP Sarkari Doctor Bharti: मध्यप्रदेश के 13 अस्पतालों में सीनियर रेसिडेंट डॉक्टरों के पद मंजूर, 354 पदों पर होंगी भर्ती

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sanjay warude
MP Sarkari Naukri Resident Docto

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MP Cabinet Decisions 2025 Update Sarkari Naukri Resident Doctor: भोपाल में मध्यप्रदेश की कैबिनेट बैठक में बड़ा निर्णय लिया गया है। प्रदेश के 13 प्रमुख अस्पतालों में सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर के नए पदों मंजूर किए गए हैं। जहां कुल 354 नए रिक्त पदों को भरा जाएगा, इससे स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा में सुधार आएगा।

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प्रदेश में पहले रेसिडेंट डॉक्टरों के पद नहीं थे, जिसके कारण डॉक्टरों के प्रोफेसर या फैकल्टी बनने के लिए जरूरी एक साल का अनुभव प्रमाणपत्र नहीं मिल पाता था। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर सहित कुल 13 अस्पतालों में 354 पदों पर नए सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर की भर्ती की जाएगी। इन नए पदों से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में भी फैकल्टी की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

कौन होते हैं रेसिडेंट डॉक्टर ?

रेसिडेंट डॉक्टर वे डॉक्टर होते हैं, जिन्होंने MBBS के बाद MD/MS या किसी स्पेशलाइजेशन (PG - Post Graduation) की पढ़ाई चुनी होती है। इन्हें Post Graduate Medical Trainees भी कहा जाता है। ये किसी अस्पताल/मेडिकल कॉलेज से जुड़े रहते हैं और वहीं रहकर (reside करके) पढ़ाई और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग करते हैं, इसलिए इन्हें Resident Doctor कहा जाता है।

रेसिडेंट डॉक्टर की क्या विशेषताएं ?

सफेद कोट और स्टेथोस्कोप पहनकर, 24x7 अस्पताल में उपलब्ध रहते हैं। इनकी उम्र आमतौर पर 25–35 साल के बीच होती है, क्योंकि MBBS के बाद PG में आते हैं। ये स्पेशलाइजेशन के हिसाब से अलग-अलग विभागों में रहते हैं- जैसे मेडिसिन, सर्जरी, गायनी, ऑर्थो, पीडियाट्रिक्स सेवा देते हैं।

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ऐसा है इनके काम का तरीका

  • वार्ड और ICU में भर्ती मरीजों की निगरानी करना।
  • मरीज की बीमारी समझना, टेस्ट रिपोर्ट देखना और प्राथमिक इलाज करना।
  • ऑपरेशन थिएटर (OT) में सर्जरी करना/सहयोग करना।
  • स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम के साथ मिलकर ट्रीटमेंट प्लान बनाना।

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कितने घंटे की होती है ड्यूटी ?

  • आपातकाल (Emergency) में तुरंत मरीज संभालना।
  • ड्यूटी शिफ्ट लंबी (कई बार 12–24 घंटे लगातार) होती है।
  • नए मेडिकल स्टूडेंट्स और इंटर्न को गाइड करना।
  • रिसर्च और केस स्टडी करना।
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इस तरह करते है ब्रिज का काम

  • मरीज और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर के बीच पुल का काम करते हैं।
  • मरीज की हर छोटी-बड़ी जानकारी वरिष्ठ डॉक्टर तक पहुंचाते हैं।
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