भोपाल। मध्य प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने 1 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि कांग्रेस ने करीब 31 साल बाद 1 विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया है। यह सीट है रैगांव विधानसभा सीट। जानकारों का मानना है कि बीजेपी इस चुनाव में 3-1 से जीतकर भी हार गई। क्योंकि रैगांव विधानसभा सीट अब तक बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही है। लेकिन इस बार हुए उपचुनाव में कांग्रेस की कल्पना वर्मा ने जीत हासिल की है। आइए जानते हैं इस सीट पर क्यों हारी बीजेपी?
बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी
कांग्रेस की कल्पना वर्मा ने बीजेपी की प्रतिमा बागरी को बड़े अंतर से हराया है। उन्होंने बीजेपी के गढ़ में सेंधमारी की है। वर्मा ने इस सीट से 12290 मतों के लंबे अंतर से जीत हासिल की। आपको बता दें कि इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। खुद सीएम शिवराज सिहं चौहान 6 बार यहां आए थे। इतना ही नहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा आदि ने भी यहां जनसभा की थी।
दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई
वहीं कांग्रेस की ओर से इस सीट पर अजय सिंह राहुल मोर्चा संभाले हुए थे। स्थानीय लोगों का मानना था कि रैगांव में मुख्य मुकाबला वर्मा और प्रतिमा बागरी से हटकर भाजपा के गणेश सिंह और कांग्रेस के अजय सिंह राहुल के बीच में है। क्योंकि इस उपचुनाव में गणेश सिंह बीजेपी की तरफ से मैदान में डटे हुए थे, तो कांग्रेस की तरफ से अजय सिंह राहुल मोर्चा संभाल रहे थे। कहा जाता है कि दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई हुई थी। जिसमें अजय सिंह राहुल ने जीत दर्ज की। इसके अलावा क्षेत्र में महंगाई, विकास का ना होना और जुगल किशोर बागरी के बेटे स्वराज बागरी को टिकट न देना भी भाजपा को महंगा पड़ गया।
इस कारण से हारी बीजेपी
जानकार मान रहे हैं कि इस सीट पर कर्जमाफी का मुद्दा अंदरखाने गर्माया हुआ था। वोटर इस चीज को देख रहे थे, लेकिन बीजेपी को इसकी भनक नहीं लग पाई। स्थानीय किसानों का मानना था कि अगर कमलनाथ सरकार में होते तो उनका दो लाख तक का कर्ज माफ कर दिया जाता। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा जिस समाज से आती हैं, उनकी जनसंख्या इस सीट पर काफी ज्यादा है। साथ ही बसपा के कारण भी बीजेपी इस सीट को हार गई।
BSP का वोट बैंक कांग्रेस में शिफ्ट
दरअसल, BSP ने रैगांव विधानसभा सीट से मैदान में कोई कैंडिडेट नहीं उतारा, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ। बहुजन वोट बैंक कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गया। वहीं BJP को इस सीट पर नुकसान इसलिए भी हुआ क्योंकि पार्टी ने बागरी परिवार का टिकट काट एक नया दांव खेला था, जो उसे ही भारी पड़ी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की कल्पना वर्मा 2018 के विधानसभा चुनाव में भी चुनावी मैदान में थी। हालांकि वो हार गईं थी, लेकिन हारने के बाद भी लगातार क्षेत्र में सक्रिय थीं, इसका फायदा उन्हें इस चुनाव में मिला।