MP Board Application APAAR ID Mandatory: एमपी के स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए जरूरी है। अब बोर्ड परीक्षा के आवेदन में APAAR ID अनिवार्य होगा। मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) ने घोषणा की है कि आगामी सत्र 2026‑27 से कक्षा 9वीं से 12वीं तक की बोर्ड परीक्षाओं के लिए APAAR ID (ऑटोमेटेड परमानेंट अकादमिक अकाउंट रजिस्ट्रेशन) अनिवार्य रूप से आवश्यक होगा। 2025‑26 के सत्र में यह विकल्प के तौर पर शामिल होगा, लेकिन अगले सत्र से बिना इस आईडी के आवेदन स्वीकार नहीं होंगे। इसको लेकर मंडल ने आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। बता दें कि हर साल एमपी बोर्ड परीक्षाओं में करीब 17 लाख छात्र-छात्राएं हिस्सा लेते हैं, जिन पर यह नई व्यवस्था सीधा प्रभाव डालेगी।
अपार आईडी के बिना आवेदन नहीं भर पाएंगे
दरअसल, मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) ने बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए APAAR ID (अपार आईडी) की अनिवार्यता का प्रावधान लागू कर दिया है। सत्र 2026-27 से बोर्ड परीक्षाओं में आवेदन तभी स्वीकार किए जाएंगे, जब छात्र के पास अपार आईडी होगी। इसका मतलब है कि बिना APAAR ID के कोई भी छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगा। सत्र 2025-26 के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के आवेदन फॉर्म में अपार आईडी वैकल्पिक रखी गई है।
APAAR ID क्या है? जानें छात्रों की नई डिजिटल पहचान के बारे में…
अपार कार्ड यानी APAAR ID (Automated Permanent Academic Account Registry) (ऑटोमेटेड पर्मानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्रेशन) भारत सरकार की ओर से शुरू की गई एक डिजिटल पहचान प्रणाली है, जिसे हर छात्र के लिए अनिवार्य किया जा रहा है। यह एक 12 अंकों की यूनिक आईडी होती है, जिसमें छात्र की पूरी शैक्षणिक जानकारी डिजिटली संरक्षित रहती है।
इस एक कार्ड से छात्र की सभी शैक्षणिक गतिविधियाँ जैसे:
- मार्कशीट
- डिग्री और प्रमाण पत्र
- छात्रवृत्ति
- पुरस्कार
- क्रेडिट स्कोर
- कोर्स की जानकारी
एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रहती है।
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एकेडमिक आधार कार्ड की तरह है अपार आईडी
जैसे आधार कार्ड से व्यक्ति की संपूर्ण पहचान मिलती है, वैसे ही अपार कार्ड से छात्र की शिक्षा से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इससे अब छात्रों को अपने दस्तावेज़ हर जगह ले जाने की जरूरत नहीं होगी। यह कार्ड कक्षा 1 से 12 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य बनाया जा रहा है, और भविष्य में उच्च शिक्षा में भी इसका इस्तेमाल अनिवार्य हो सकता है।
अपार कार्ड कैसे बनवाएं?
अपार कार्ड (APAAR ID) बनवाने की प्रक्रिया छात्रों और अभिभावकों के लिए बेहद आसान है, लेकिन इसमें कुछ जरूरी शर्तें और चरण होते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
अपार आईडी के लिए जरूरी दस्तावेज
- छात्र का आधार कार्ड
- माता-पिता का आधार कार्ड
- डिजिलॉकर पर बना खाता (KYC के लिए)
डिजिलॉकर अकाउंट का इस्तेमाल KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया के लिए किया जाएगा। इसके बिना अपार कार्ड नहीं बन सकता।
पैरेंट्स की सहमति है अनिवार्य
स्कूल या कॉलेज अपार कार्ड के लिए आवेदन तभी शुरू करेंगे जब अभिभावकों की लिखित सहमति प्राप्त हो जाएगी। इसके लिए स्कूल एक प्रारूप सहमति फॉर्म देता है, जिसे अभिभावकों को भरकर स्कूल में जमा करना होता है। अभिभावक चाहें तो किसी भी समय अपनी सहमति वापस ले सकते हैं।
अपार कार्ड बनवाने की क्या है प्रक्रिया?
यह कार्ड उन स्टूडेंट्स का बनता है जो कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक पढ़ रहे हैं। हालांकि छात्र स्वंय इस कार्ड को नहीं बनवा सकते। इसकी प्रक्रिया स्कूल के द्वारा ही पूरी की जाती है। स्कूल के द्वारा एक सहमति फॉर्म दिया जाता है जिसे स्टूडेंट्स के पैरेंट्स के द्वारा भरा जाएगा। उस फॉर्म के साथ माता-पिता और बच्चे का आधार कार्ड लगेगा। इसके बाद स्कूल की ओर से अपार आईडी के लिए आवेदन किया जाएगा जिसके बाद अपार कार्ड छात्र के डिजिलॉकर पर उपलब्ध होगा।
12वीं के बाद अगर आप इस कार्ड के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस कार्ड के लिए डिजिलॉकर ऐप में जाकर भी आवेदन कर सकते हैं।
इस खबर के 5 FAQ
Q1. APAAR ID क्या है?
A1. यह एक 12‑अंकों की अनोखी छात्र पहचान है जिसमें शैक्षणिक रिकॉर्ड डिजिटल रूप से संग्रहित होता है।
Q2. क्या APAAR ID अब जरूरी है?
A2. नवीं से बारहवीं तक के लिए सत्र 2025‑26 में वैकल्पिक है, लेकिन 2026‑27 से पूरी तरह से अनिवार्य हो जाएगी।
Q3. ID कैसे बनाएँ?
A3. स्कूल की ओर से माता‑पिता की सहमति लेकर आधार और डिजिलॉकर KYC के माध्यम से पंजीकरण किया जाता है।
Q4. DigiLocker पर APAAR ID कैसे प्राप्त करें?
A4. ID बनने के बाद DigiLocker के “Issued Documents” सेक्शन में उपलब्ध होती है।
Q5. APAAR ID से क्या लाभ मिलेंगे?
A5. यह परीक्षा आवेदन, विश्वविद्यालय प्रवेश, छात्रवृत्ति या नौकरी आवेदन में प्रमाणिक शैक्षणिक रिकॉर्ड का डी‑डुप्लीकेट संग्रहण संभव बनाता है।