MP BJP President: मध्यप्रदेश में बीजेपी के जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। बताया जा रहा है, लगभग 50% जिलाध्यक्षों के नाम जल्द घोषित होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) तीसरे कार्यकाल के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन नए दावेदारों की लंबी सूची ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है।
दावेदारों की सूची में कई दिग्गज शामिल
प्रदेश अध्यक्ष पद (MP BJP President) के लिए प्रमुख दावेदारों में ब्राह्मण वर्ग से नरोत्तम मिश्रा, राजेंद्र शुक्ल, और अर्चना चिटनीस के नाम सबसे आगे हैं। वहीं, क्षत्रिय वर्ग से अरविंद भदौरिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, और सीमा सिंह जादौन के नाम चर्चा में हैं। वैश्य वर्ग से हेमंत खंडेलवाल और सिंधी समाज से भगवानदास सबनानी भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
ब्राह्मण वर्ग के प्रमुख दावेदार
अगर ब्राह्मण वर्ग की सीट ब्राह्मण से ही रिप्लेस होती है, तो नरोत्तम मिश्रा का नाम सबसे आगे है। नरोत्तम मिश्रा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। राजेंद्र शुक्ल और अर्चना चिटनीस भी अपनी मजबूत पकड़ के साथ इस पद के लिए प्रयासरत हैं।
क्षत्रिय वर्ग की मजबूत उपस्थिति
क्षत्रिय वर्ग से अरविंद भदौरिया और बृजेंद्र प्रताप सिंह के नाम प्रमुख हैं। भदौरिया पूर्व में बीजेपी के संगठन मंत्री रह चुके हैं। बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और वीडी शर्मा की तरफ से प्रस्तावित किया गया है।
वैश्य वर्ग से हेमंत खंडेलवाल और सिंधी समाज से भगवानदास सबनानी भी इस दौड़ में शामिल हैं। आदिवासी वर्ग से फग्गन सिंह कुलस्ते और हिमाद्री सिंह जैसे नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं।
कैसे होगा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव?
प्रदेश अध्यक्ष (MP BJP President) के चुनाव के लिए बीजेपी के 50% से अधिक जिलाध्यक्षों के नाम घोषित होने के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस चुनाव के प्रभारी होंगे। प्रदेश परिषद के सदस्यों के बीच रायशुमारी के बाद नामांकन, दावे-आपत्तियों के निपटान के बाद चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा।
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राजनीतिक संतुलन की चुनौती
बीजेपी के लिए इस चुनाव में सभी वर्गों को संतुलित करना एक चुनौती है। सीएम डॉ. मोहन यादव के ओबीसी वर्ग से आने के कारण इस बार सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है। इस चुनावी प्रक्रिया के बीच पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखना और विभिन्न वर्गों की मांगों को समेटना बीजेपी के लिए अहम चुनौती होगी।
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