हाइलाइट्स
- इंदौर-3 विधायक गोलू शुक्ला को बीजेपी संगठन ने लगाई फटकार।
- बेटे रुद्राक्ष के महाकाल मंदिर के गर्भगृह में जबरन घुसने का मामला।
- प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने विधायक गोलू शुक्ला को दी नसीहत।
BJP MLA Golu Shukla son Rudraksh Mahakal temple Controversy: मध्य प्रदेश बीजेपी संगठन ने इंदौर-3 विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष के उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में पुजारियों से विवाद के मामले को लेकर सख्त कदम उठाया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने विधायक को पार्टी कार्यालय बुलाकर बेटे के अनुशासनहीन व्यवहार पर कड़ी फटकार लगाई है। पार्टी ने भविष्य में ऐसी हरकतों को बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी है।
पार्टी ने साफ कहा है कि अगर आगे से फिर ऐसी गलती हुई, तो कड़ा एक्शन लिया जाएगा, इस मामले के लिए गोलू शुक्ला जिम्मेदार होंगे। उन्होंने विधायक को अपने बेटे की करतूतों पर लगाम लगाने की सलाह दी।
चार महीने में दो विवाद, बीजेपी संगठन नाराज
दरअसल, पिछले चार महीनों में इंदौर की विधानसभा क्रमांक 3 के बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष शुक्ला दो बार विवादों में फंसे हैं, जिससे बीजेपी संगठन ने कड़ी नाराजगी जताई है। पहला मामला अप्रैल का है, जब रुद्राक्ष ने देवास की चामुंडा माता टेकरी पर आधी रात को हंगामा किया और पुजारी से हाथापाई कर ली। दूसरी घटना 21 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर में हुई, जहां रुद्राक्ष ने पुजारी से बहस की और मना करने के बावजूद जबरन गर्भगृह में घुस गए। इन दोनों घटनाओं ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है और संगठन इसे लेकर बेहद चिंतित है। अब बीजेपी संगठन ने गोलू शुक्ला को भोपाल में बुलाकर उन्हें फटकार लगाई है।
बेटे का बचाव महंगा पड़ा, पार्टी ने लगाई फटकार!
मंगलवार सुबह जब विधायक गोलू शुक्ला विधानसभा पहुंचे तो मीडिया ने उनसे उज्जैन मंदिर में हुए विवाद को लेकर सवाल किया। इस पर उन्होंने जवाब दिया “मैं अपने बेटे के साथ हूं।” उनके इस बयान से पार्टी नाराज हो गई। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने गोलू शुक्ला को तत्काल तलब किया और बेटे के विवाद पर दिए गए उनके बयान को अनुचित बताते हुए नाराजगी जाहिर की।
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गोलू शुक्ला को दी सख्त चेतावनी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने गोलू शुक्ला से साफ कहा कि वे अपने बेटे रुद्राक्ष को समझाएं ताकि आगे ऐसी कोई घटना न हो। हेमंत खंडेलवाल और हितानंद शर्मा ने चेतावनी दी कि अगर रुद्राक्ष फिर कोई गलती करता है, तो पार्टी सख्त कदम उठाएगी। और ऐसी स्थिति में पूरी जिम्मेदारी खुद गोलू शुक्ला की होगी।
महाकाल मंदिर में रुद्राक्ष ने किया नियमों का उल्लंघन
दरअसल, बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला की कांवड़ यात्रा इंदौर से बीते रविवार रात उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पहुंची थी। सावन के दूसरे सोमवार तड़के करीब 2:30 बजे जब भस्म आरती के लिए पट खुले, तो वे अपने समर्थकों और बेटे रुद्राक्ष के साथ महाकाल मंदिर पहुंचे।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, प्रवेश की अनुमति केवल विधायक गोलू शुक्ला को दी गई थी। बावजूद इसके, उनका बेटा रुद्राक्ष जबरन गर्भगृह में घुस गया। जब मंदिर कर्मचारी आशीष दुबे ने उसे रोकने की कोशिश की, तो रुद्राक्ष ने उसे धमकाया। विधायक शुक्ला उस समय वहीं मौजूद थे और उन्होंने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। पिता-पुत्र दोनों ने गर्भगृह में करीब पांच मिनट तक पूजा की, जिससे मंदिर प्रशासन बेहद नाराज है। महाकाल मंदिर में रुद्राक्ष ने नियमों का उल्लंघन किया है।
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देवास में टेकरी माता मंदिर में किया था हंगामा
बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला का बेटा रुद्राक्ष शुक्ला इससे पहले भी विवादों में रहा है। करीब तीन महीने पहले वह आधी रात को अपने काफिले के साथ देवास की चामुंडा टेकरी माता मंदिर पहुंचा था, जहां उसने हंगामा किया। उसके काफिले में शामिल एक गाड़ी पर लाल बत्ती और हूटर लगे थे, जिसे बाद में उज्जैन की पॉश कॉलोनी से जब्त किया गया।
देवास पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगालकर गाड़ियों की पहचान की। इनमें से एक कार (MP 13 ZD 0111) उज्जैन के विद्यानगर निवासी लोकेश चांदवानी के नाम पर निकली।
फुटेज में रुद्राक्ष के साथ लोकेश भी नजर आया। इसी आधार पर देवास कोतवाली थाने से एक पुलिस टीम रविवार रात 11 बजे उज्जैन पहुंची और जांच कर कार्रवाई की। इस मामले में गोलू शुक्ला के बेटे समेत 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
पार्टी को नहीं भाया अनुशासनहीन व्यवहार
संगठन के अनुसार विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष के लगातार विवादों में आने से न सिर्फ उनके निजी छवि को ठेस पहुंची है, बल्कि बीजेपी को भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी एक अनुशासनप्रिय पार्टी के तौर पर पहचानी जाती है, और ऐसे मामलों से पार्टी की साख पर सवाल उठते हैं। पार्टी नेतृत्व पर अब दबाव है कि वो इस मामले में स्पष्ट और सख्त कदम उठाए, ताकि संगठन की छवि को और नुकसान न हो और अनुशासन का संदेश साफ तौर पर जाए।
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