/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/Bhopal-Patwari-Protest-Strike.webp)
Bhopal Patwari Protest Strike: भोपाल में घूसखोर पटवारी पर हुई निलंबन की कार्रवाई को लेकर घमासान मच गया है। 3 पटवारियों के निलंबन के विरोध में प्रांतीय पटवारी संघ उतर आया है। भोपाल जिले की सभी तहसील के पटवारी सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं।
इधर पटवारियों के विरोध में किसान संघ ने भी मोर्चा खोल दिया है। किसान संघ ने मांग की है कि जो कर्मचारी इन घूसखोर पटवारियों का साथ दे रहा है, हड़ताल कर रहा है, उस पर भी कार्रवाई होना चाहिए।
लटके हुए हैं ताले
पटवारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने से भोपाल जिले की हुजूर, गोविंदपुरा, बैरागढ़, भोपाल शहर सर्किल, एमपी नगर, टीटी नगर और बैरसिया तहसील दफ्तर में पटवारियों के कमरों के ताले नहीं खुले हैं।
बता दें कि भोपाल में बड़ी संख्या में हर दिन सीमाकांन के लिए आवेदन आते हैं। पटवारियों के हड़ताल पर जाने से सीमांकन, बटांकन का काम प्रभावित हो सकता है।
ये है पूरा मामला
भोपाल जिले के बीनापुर पटवारी किशोर दांगी पर आरोप हैं कि इन्होंने करौंद में पीपल चौराहा के पास निजी ऑफिस खोल रखा है। इसी तरह पुरा छिंदवाड़ा पटवारी पवन शुक्ला ने ऑफिस गोल मार्केट संजीव नगर में और नीलबड़ भौंरी की पटवारी निधि नेमा ने ऑफिस चौबदारपुरा तलैया में खोल रखा है।
https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1867066109662466305
ये तहसील में काम नहीं करते। बल्कि अपने निजी दफ्तरों में ही सुबह से लेकर शाम तक लोगों के काम करते हैं। यहां प्राइवेट कर्मचारी/सर्वेयर तैनात किये गए हैं। यहां रिश्वत की डील फाइनल होते ही फाइल आगे बढ़ा दी जाती है।
इस मामले का खुलासा होने के बाद भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने तीनों पटवारियों को निलंबित कर दिया। एडीएम सिद्धार्थ जैन जांच कर रहे हैं। पटवारी संघ इसी कार्रवाई का विरोध कर रहा है।
सीएम तक कह चुके हैं- पटवारी कलेक्टर का बाप होता है
राजगढ़ में 8 अप्रैल को एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पटवारियों पर खूब गरजे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसी कारण से जमीन खरीदना बेचना या नामातंरण करना होता था तो पहले पटवारी के चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ते थे। पटवारी कलेक्टर का बाप बन जाता है। हाथ नहीं आता। हमने ये व्यवस्था बदल दी।
किसान संघ ने की हड़ताल करने वालों पर कार्रवाई की मांग
भारतीय किसान संघ ने सरकार से भ्रष्ट पटवारियों के समर्थन में हड़ताल पर जाने वाले पटवारियों पर भी सख्त कार्रवाई की मांग की है। किसान संघ के मध्यभारत प्रांत के अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान ने बताया कि पूरे प्रान्त में किसानों का सबसे ज्यादा शोषण राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है।
/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/Bhopal-Patwari-Strike-Kisan-Sangh-Sarvagya-Diwan.webp)
पटवारी से लेकर तहसीलदार तक किसानों का शोषण कर रहे हैं। बिना रिश्वत के न तो नामांतरण होता है, न बटान होती हैं और न ही बही बनती है। हर काम के लिए दलाल रखे हुए हैं। इनके खिलाफ शिकायतें करने पर भी कार्रवाई नहीं होती है।
भारतीय किसान संघ सरकार से मांग करता है कि ऐसे पटवारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और जो इनके सहयोग में हड़ताल पर है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। उनकी संपत्ति की जांच कराई जाए।
ऑनलाइन प्रक्रिया है समस्या की मुख्य वजह
दरअसल, इस पूरे बवाल की मुख्य जड़ ऑनलाइन प्रक्रिया बताई जा रही है। वर्ष 2016 से प्रदेश में सीमांकन का काम ऑनलाइन किया जाने लगा है। पटवारी समय समय पर इसका विरोध भी करते आए हैं।
2016 से पहले तक पटवारी जरीब के जरिए सीमांकन का ऑफलाइन काम करते थे। इसके लिए हर पटवारी के पास जरीब होती थी। ऑनलाइन व्यवस्था में जरीब की जगह टोटल स्टेशन मशीन (TSM) और रोवर ने ले ली।
टीएसएम हर तहसील में एक और रोवर जिला स्तर पर एक ही है। आवश्यकता से बेहद कम मशीन होने के कारण प्राइवेट मशीन ऑपरेटर से पटवारी काम ले रहे हैं। यही विवाद की मुख्य वजह बताई जा रही है।
प्रमुख सचिव ने कलेक्टर को बुलाया
पूरे मामले को लेकर राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को 12 दिसंबर, गुरुवार को बुलाया है।
/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/YsiYKwWp-Bhopal-Patwari-Strike-Commisnor-Sanjiv-Singh.webp)
इस दौरान पटवारियों के निलंबन, उनके पड़ताल पर जाने से बनी स्थिति पर चर्चा की जाएगी। पीएस विवेक पोरवाल ने कहा है कि आम लोगों के काम में देरी नहीं होगी।
ये भी पढ़ें: सलाखों के पीछे पहुंची नीमच की ब्लैकमेलर महिला: राजस्थान के जज से की थी एक करोड़ रुपए और मकान की मांग
संसाधन कम तो फिर विकल्प क्या है?
भू राजस्व संहिता की धारा 129 (6) में कलेक्टर को ये अधिकार दिये गए हैं कि वह सीमांकन कार्यों में सहयोग के लिए प्राइवेट एजेंसी को नियुक्त करे।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के इंदौर जिले में ये व्यवस्था चल भी रही है। लेकिन राजधानी भोपाल में ये व्यवस्था नहीं है। पटवारियों ने खुद से निर्णय लेकर प्राइवेट कर्मचारी रख लिये हैं, जो विवाद की मुख्य वजह है।
ये भी पढ़ें: उपासना स्थल कानून मामले में केंद्र का जवाब आने तक सुनवाई नहीं: हलफनामा दाखिल करने के SC के निर्देश, ये है पूरा विवाद
पटवारी संघ ने ये कहा
प्रांतीय पटवारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी सैनी बताते हैं कि बड़े जिलों में हर दिन सीमांकन के कई आवेदन आते हैं, लेकिन संसाधन ही नहीं है। तहसील मुख्यालयों में पटवारी के बैठने तक की जगह नहीं है।
/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/Bhopal-Patwari-Strike-Jila-Adhyaksh-Dharmendra-Kushwaha.webp)
ऐसे में टीएसएम के लिए कोई पटवारी यदि प्राइवेट कर्मचारी न रखे तो क्या करे? ऑफीस न खोले तो क्या करें? हम भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं।
शासन इस पूरे मामले की जड़ तक जाए, कोई दोषी हो तो कार्रवाई भी करे, लेकिन ये भी ध्यान रखा जाए कि यदि ऐसा कोई सिस्टम चल रहा था तो उसके पीछे की वजह क्या रही होगी?
मप्र पटवारी संघ ने नहीं किया हड़ताल का समर्थन
मध्य प्रदेश में भी पटवारियों के दो गुट हैं। पुराना संगठन मध्य प्रदेश पटवारी संघ के नाम से है। वैचारिक मतभेद के कारण प्रांतीय पटवारी संघ का उदय हुआ। भोपाल में जो हड़ताल चल रही है, वह प्रांतीय पटवारी संघ के नेतृत्व में चल रही है।
भोपाल की तीन तहसील में प्रांतीय पटवारी संघ एक्टिव है। मध्य प्रदेश पटवारी संघ के धर्मेंद्र काला नारायण ने कहा कि मध्यप्रदेश पटवारी संघ भोपाल ऐसे किसी आंदोलन या हड़ताल का समर्थन नहीं करता है।
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें