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MP Politics: भोपाल में लोकसभा की नई कमेटी की पहली बैठक, विधानसभा समितियों को ताकतवर बनाने पर मंथन

राजधानी भोपाल में देश के सात राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। जिसमें विधायी व्यवस्थाओं में सुधार व विधानसभा समितियों की भागीदारी पर विस्तार से चर्चा हुई।

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Bansal news
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हाइलाइट्स

  • भोपाल में लोकसभा की नई कमेटी की पहली बैठक।
  • 7 राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष हुए शामिल।
  • विधानसभा समितियों को ताकतवर बनाने पर मंथन।
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MP Assembly Speaker Meeting: मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए 14 जुलाई सोमवार का दिन बेहद खास रहा है। एमपी विधानसभा को पहली बार केंद्रीय कमेटी की अध्यक्षता करने का मिला है। भोपाल में सात राज्यों की समिति की पहली बैठक हुई। बैठक में 7 राज्यों के स्पीकर शामिल हुए। जिसमें विधानसभा समितियों को ताकतवर बनाने पर मंथन हुआ, साथ ही आश्वासन और घोषणाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। बैठक का मूल उद्देश्य समिति प्रणाली की कार्यप्रणाली की समीक्षा करना, उसे और सक्षम बनाना और वित्तीय, प्रशासनिक व विधायी नियंत्रण में सुधार करना था।

बैठक में कौन-कौन हुए शामिल?

  • मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर
  • राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना
  • राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी
  • हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया
  • पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर विमला बनर्जी
  • उड़ीसा विधानसभा के स्पीकर सुरमा पाढ़ी
  • सिक्किम विधानसभा के स्पीकर मिंगमा नोरबू शेरपा
  • साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा सचिव भी मौजूद थे।
  • सिक्किम के स्पीकर मिंगमा नोरबू शेरपा
  • साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा सचिव भी मौजूद थे।

विधानसभा की समितियों का अहम दायित्व

मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि जब विधानसभा की कार्यवाही नहीं चल रही होती है, तब विधानसभा की स्थायी समितियां विधायिका की भूमिका को आगे बढ़ाती हैं। ये समितियां न केवल विधायी और वित्तीय मामलों में बल्कि प्रशासनिक क्षेत्र में भी सरकार की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखने का काम करती हैं।

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उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्रों के बीच भी लोकतंत्र की प्रक्रिया सुचारु बनी रहे, इसके लिए समितियों का गठन किया जाता है। ये समितियां विधायिका की शक्ति को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं और नीतियों व कार्यक्रमों की गहराई से समीक्षा करती हैं।

लोकतंत्र में संसद और विधानसभाएं अहम स्तंभ

विधानसभा में आयोजित एक बैठक के दौरान विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में संसद और विधानसभाएं अहम स्तंभ हैं। लेकिन, सत्र के दौरान हर विषय की बारीकी से निगरानी संभव नहीं हो पाती। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए पूर्वजों ने समितियों की प्रणाली विकसित की, ताकि विषयों पर गहराई से विचार-विमर्श हो सके।

उन्होंने बताया कि लोकसभा में जब बजट सत्र होता है, तो उसमें कुछ अंतराल देकर बजट की समीक्षा समितियों को सौंपी जाती है। ये समितियां बजट का गहन अध्ययन कर सुझाव प्रस्तुत करती हैं। इसके बाद, संशोधित बजट फिर से लोकसभा में प्रस्तुत होता है और वहीं से उसे पारित किया जाता है। ठीक इसी प्रकार से विधानसभाओं में भी समितियों की प्रणाली है।

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भोपाल में हुई समिति की पहली बैठक

दरअसल, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के शताब्दी वर्ष सम्मेलन के अंतर्गत विधानसभा समितियों को अधिक प्रभावशाली और सशक्त बनाने के उद्देश्य से सात राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों की एक समिति गठित की गई है। इस समिति की पहली बैठक भोपाल में संपन्न हुई, जहां कई अहम सुझाव सामने आए।

तेजी से बढ़ रही विधानसभाओं की जिम्मेदारियां

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि “जैसे-जैसे देश की आबादी और तकनीकी विस्तार बढ़ रहा है, वैसे ही विधानसभाओं की भूमिका और जिम्मेदारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि समितियों को और अधिक स्वायत्तता और कार्य स्वतंत्रता दी जाए।”

तोमर ने यह भी कहा कि समितियों का कार्य आम जनता के समक्ष आना चाहिए और उनकी अनुशंसाओं का समयबद्ध पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि समितियों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।

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सभी विधानसभाओं को लिखा जाएगा पत्र

बैठक में लिए गए निर्णय के तहत अब देश की सभी विधानसभाओं को पत्र लिखकर उनके सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे, जिससे समितियों की कार्यक्षमता को लेकर एक राष्ट्रव्यापी संवाद स्थापित किया जा सके। इस समिति की अगली बैठक राजस्थान में आयोजित की जाएगी, जहां पहले चरण में आए सुझावों की समीक्षा की जाएगी और अगले कदम तय किए जाएंगे।

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