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हाइलाइट्स
- मध्यप्रदेश में अब सरकारी स्कूल कोटे में भी फर्जीवाड़ा।
- छात्रा ने ​फर्जी सर्टिफिकेट से जीएस कोटे में लिया एडमिशन।
- सरकारी स्कूल नहीं पढ़ी फिर भी कॉलेज में मिला दाखिला।
Bhopal GS Quota Fake Certificate Admission Fraud: मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की NEET-UG काउंसलिंग में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस बार सरकारी स्कूल कोटे में एडमिशन लेने गड़बड़ी की गई। एक निजी मेडिकल कॉलेज में छात्रा ने सरकारी स्कूल कोटे (जीएस कोटे) का लाभ लेने के लिए गैर सरकारी स्कूल की पढ़ाई को सरकारी स्कूल की पढ़ाई बताते हुए फर्जी सर्टिफिकेट लगाया। इस झूठ का पर्दाफाश तब हुआ, जब डीएमई (डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन) ने शिकायत मिलने पर मामले की जांच शुरू की। अब कॉलेज को नोटिस जारी हो चुका है और इस धोखाधड़ी की जांच आगे बढ़ रही है।
अब जीएस कोटे में भी फर्जीवाड़ा
फ्रीडम फाइटर कोटे में घोटाले के बाद अब सरकारी स्कूल (जीएस) कोटे में भी गड़बड़ी उजागर हुई है। भोपाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाली छात्रा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएस कोटे से एडमिशन ले लिया, जबकि हकीकत यह है कि उसने कभी भी किसी सरकारी स्कूल से पढ़ाई ही नहीं की थी। छात्रा ने 5% आरक्षण का लाभ उठाने के लिए गलत प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया और कॉलेज को इसकी भनक तक नहीं लगी।
बिना सरकारी स्कूल से पढ़ाई के मिली सीट
इस छात्रा ने मेडिकल एडमिशन के लिए ऐसा फर्जी सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया, जिसमें दावा था कि उसने 9वीं से 12वीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है। इस प्रमाणपत्र को विद्यालय अधिकारी / डीईओ से प्रमाणित कराकर लगाया था। इस आधार पर उसे आरकेडीएफ कॉलेज में कॉलेज ने एडमिशन दिया। लेकिन आगे जांच में पता चला कि वह कभी सरकारी स्कूल में पढ़ी ही नहीं थी।
इस फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने पर डीएमई ने जांच शुरू की तो मामला उजागर हुआ।
अब मामले में डीएमई ने कॉलेज को नोटिस जारी किया, और मामले की विस्तृत जांच शुरू हो गई। डॉ. अरूणा कुमार (डीएमई) का कहना है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इससे पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे में भी ऐसे 5 फर्जी एडमिशन पकड़े गए थे।
सरकारी स्कूल कोटा क्या है?
सरकारी स्कूल (Government School) कोटे के अंतर्गत किसी छात्र को स्वीकृति तभी मिल सकती है यदि उसने कुछ शर्तें पूरी की हों, जैसे:
- आरटीई कोटे के अंतर्गत पहली से आठवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई हो।
- कम से कम 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूल में हो।
इस आरक्षण का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़े छात्र भी चिकित्सा शिक्षा के अवसर प्राप्त कर सकें।
आवश्यक दस्तावेज और बड़ी चूक
नीचे वे दस्तावेज हैं जो मेडिकल काउंसलिंग के दौरान अनिवार्य रूप से मांगे जाते हैं:
- NEET UG एडमिट कार्ड एवं रैंक स्कोर
- 10वीं की मार्कशीट (जन्मतिथि प्रमाण के लिए)
- 12वीं की मार्कशीट (पात्रता के लिए)
- पहचान पत्र (आधार कार्ड / PAN / पासपोर्ट / ड्राइविंग लाइसेंस)
- राज्य निवासी प्रमाण
- जीएस कोटे के लिए विशेष प्रमाणपत्र (डीओ / प्रिंसिपल द्वारा अनुमोदित)
- काउंसलिंग पोर्टल से डाउनलोड किया गया प्रोविजनल अलॉटमेंट लेटर
इन दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच होती है, फिर भी एडमिशन के इस मामले में गड़बड़ी हो गई।
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