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MP के आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेजों में भर्ती: सरकार के नियम को चुनौती, हाईकोर्ट ने कहा- शासन और याचिकाकर्ता लिखित तर्क दें

MP Ayurveda Autonomous College Bharti Case: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेजों में भर्ती, ट्रांसफर और अन्य विषयों के लिए बनाए नियम को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने 25 जनवरी 2025 को मामले में अंतिम सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में कोर्ट ने 2022 को ट्रांसफर पर रोक लगा दी थी।

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Rahul Garhwal
MP Ayurveda Autonomous College Bharti Case High Court

MP Ayurveda Autonomous College Bharti: मध्यप्रदेश के आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेजों में भर्ती, ट्रांसफर और अन्य विषयों के लिए सरकार के बनाए नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने राज्य शासन, हस्तक्षेपकर्ताओं और याचिकाकर्ताओं को लिखित तर्क पेश करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने 25 जनवरी 2025 को मामले में अंतिम सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में कोर्ट ने 2022 को ट्रांसफर पर रोक लगा दी थी।

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नियम बनाने की सरकार की शक्ति को चुनौती

आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेज भोपाल और इंदौर के सहायक प्राध्यापकों ने याचिका दायर की है। याचिका में सरकार द्वारा पारित आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेज नियम 2022 को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने नियम बनाने की सरकार की शक्ति को चुनौती दी है। इसके तहत सरकार चाहे तो एक आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेज से दूसरे आयुर्वेद ऑटोनॉमस कॉलेज में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर का स्थानांतरण कर सकेगी और भर्ती में प्रदेश स्तर की रोस्टर प्रणाली लागू की जाएगी।

मामले में कुछ हस्तक्षेप याचिकाएं

इस मामले में कुछ हस्तक्षेप याचिकाएं भी दायर की गई हैं। इनका कहना है कि सरकार का निर्णय सही है। आरक्षण का प्रदेश स्तरीय रोस्टर बनने से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को लाभ होगा। हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, रूप सिंह मरावी, मधुसूदन पटेल, पुष्पेंद्र कुमार शाह ने पक्ष रखा।

[caption id="attachment_706557" align="alignnone" width="503"]mp high court मध्यप्रदेश हाईकोर्ट[/caption]

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मध्यप्रदेश सरकार ने कॉलेजों को बनाया ऑटोनॉमस

आयुर्वेद कॉलेज 1997 तक मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित होते थे। उसके बाद सरकार ने सभी को ऑटोनॉमस बना दिया। संचालन के लिए समितियों का पंजीयन कराया गया। इन कॉलेजों के संचालन के लिए मध्यप्रदेश सरकार अपने संचित निधि से पैसे का आवंटन करती है। इन कॉलेज के सहायक अध्यापकों पर अध्यापकों और अन्य अधिकारियों कर्मचारियों का वेतन और भत्ते, मध्यप्रदेश सरकार के संचित निधि पर आधारित होता है।

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2010 में बनाया था नियम

मध्यप्रदेश सरकार ने 2010 में नियम बनाकर इन कॉलेजों में भर्ती करने का अधिकार इन समितियों को दिया था। इस पर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने आपत्ति जताई थी। मध्यप्रदेश महालेखाकार ग्वालियर द्वारा भी इन ऑटोनॉमस कॉलेज के कर्मचारी और अधिकारियों को संचित निधि से वेतन और भत्ता दिए जाने पर आपत्ति उठाई गई थी।

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