MP Atithi Shikshak: मध्य प्रदेश में 70 हजार अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers) को बड़ा झटका लगा है। लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) के आदेश के बाद अब अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया जाएगा। निराकरण का यह फैसला नियमितीकरण से जुड़ी दायर याचिका हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने दिया है। अतिथि शिक्षकों (MP Atithi Shikshak) के नियमितीकरण को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय ने साफ कहा कि इन्हें नियमित नहीं किया जाएगा, बल्कि सीधी भर्ती में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
संचालनालय के आदेश से अतिथि शिक्षकों में नाराजगी
मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षक (MP Atithi Shikshak) लम्बे समय से नियमितीकरण की मांग रहे हैं। इसी दौरान हाईकोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय को इनके निराकरण के आदेश दिए। जिस पर डीपीआई ने शुक्रवार, 27 सितंबर को नया फैसला सुनाया है। जिससे अतिथि शिक्षकों में नाराजी है।
2 अक्टूबर को भोपाल में महाआंदोलन
2 अक्टूबर को भोपाल में प्रदेशभर के अतिथि शिक्षक (MP Atithi Shikshak) महाआंदोलन करेंगे। इस प्रदर्शन की जिम्मेदारी आजाद अतिथि शिक्षक संघ ने ली है।
अतिथि इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में है। सोशल मीडिया पर अतिथि शिक्षकों से एकजुट होने की अपील की जा रही है। समन्वय समिति भी आंदोलन को अपना समर्थन दे चुकी है। नियमितीकरण की मांग को लेकर गांधी जयंती पर भोपाल की सड़कों पर प्रदेशभर के अतिथि शिक्षक सत्याग्रह करेंगे। जिसे लेकर प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है।
21 दिन बाद दोबारा बड़े आंदोलन की तैयारी
महापंचायत में हुई घोषणाओं को पूरी कराने को लेकर अतिथि शिक्षकों (MP Atithi Shikshak) ने भोपाल में 10 सितंबर को महाआंदोलन किया था। 21 दिन बाद अब दोबारा भोपाल में 2 अक्टूबर को बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू हो चुकी है।
आंदोलन को लेकर अतिथि शिक्षकों के सभी सोशल मीडिया ग्रुप फुल एक्टिव हो गए हैं। जल्द ही इसे लेकर प्रेस कांफ्रेंस भी की जा सकती है।
संगठनों के लिए ये अस्तित्व की लड़ाई
10 सितंबर को अतिथि शिक्षकों (MP Atithi Shikshak) को महाआंदोलन में आमंत्रित महापंचायत की घोषणाओं को लेकर किया गया था। लेकिन जिस सहज तरीके से बिना महापंचायत की घोषणाओं पर बात किए हुए आंदोलन खत्म किया गया, इससे अतिथि से जुड़े संगठन ही गेस्ट टीचर्स के निशाने पर आ गए।
वहीं तात्कालिक समस्याओं के निराकरण के लिए भी अब तक आदेश जारी नहीं हुए। ऐसे में संगठन के लिए ये अब अस्तित्व की लड़ाई बन गई है।
चार कारण जिससे जली दोबारा आंदोलन की चिंगारी
1. महापंचायत को भूल जाओ: महाआंदोलन के दिन अतिथियों (MP Atithi Shikshak) के प्रतिनिधिमंडल से पहले ही दिन स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कह दिया था कि महापंचायत की घोषणाओं को भूल जाओ। ये बात अतिथियों को 10 सितंबर की रात तक लगी। तब तक अधिकांश अतिथि भोपाल से वापस लौट गए थे। अतिथियों का भविष्य महापंचायत की घोषणाओं से जुड़ा है, मंत्री जी की ये बात अतिथियों को नगवार गुजरी।
2. संगठन के प्रति फूटा गुस्सा: महाआंदोलन के दूसरे दिन 11 सितंबर को अतिथि शिक्षक (MP Atithi Shikshak) संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार से तात्कालिक मांग पर बात कर आंदोलन खत्म कर दिया। जिसके बाद अतिथियों का गुस्सा अपने ही संगठन के पदाधिकारियों पर फूट पड़ा। जिन तात्कालिक मांगों को लेकर अतिथि संगठनों ने अपना आंदोलन वापस लिया था, उनके आदेश भी आज तक जारी नहीं हुए।
3. बयान जिसने आग में घी का काम किया: इस बीच विभागीय मंत्री राव उदयप्रताप सिंह ने मीडिया में एक बयान दे दिया कि अतिथि हैं तो क्या घर पर कब्जा कर लेंगे। उनके इस बयान ने अतिथि के आक्रोश को चरम सीमा पर पहुंचा दिया। हालांकि, मंत्री ने बाद में इस पर खेद व्यक्त भी किया, लेकिन तब तक मंत्री जी का ये बयान आग में घी का काम कर चुका था।
4. शिवराज सिंह का आश्वासन: विभागीय मंत्री भले ही ये कह चुके थे कि महापंचायत की घोषणाओं को भूल जाओ और नये सिरे से बात करो, लेकिन महापंचायत में घोषणा करने वाले पूर्व सीएम और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथियों को ये आश्वासन दे दिया कि वे अपनी घोषणाएं पूरी कराएंगे। जिससे अतिथियों को लगा कि अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है।
इस बार ज्यादा दिन चल सकता है आंदोलन
महाआंदोलन में हुए घटनाक्रम के बाद अतिथि शिक्षक (MP Atithi Shikshak) संगठन ने नई रणनीति बनाई है। 10 सितंबर को हुए आंदोलन में ऐसी कोई तैयारी नहीं थी कि ये कब तक चलेगा, लिहाजा अतिथि एक दिन की व्यवस्था से भोपाल आए और शाम होने तक वापस चले गए।
इस बार अतिथियों (MP Atithi Shikshak) को पहले ही बताया जा रहा है कि मांग पूरी होने तक डटे रहना है, मतलब अतिथि शिक्षकों से 5 से 7 दिन तक की तैयारी से भोपाल आने का आह्वान किया जा रहा है।