MP Assistant Professor Bharti: मध्यप्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम फैसले के अधीन कर दिया है। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने मप्र लोक सेवा आयोग के चेयरमैन और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। 2 हफ्ते में जवाब देना होगा। ये मामला कई प्रश्न-उत्तर में गलतियों से जुड़ा है।
प्रश्न पत्रों में गलतियां, आपत्ति पर 100 रुपए वसूली
सागर के रहने वाले देवेंद्र चौबे, अभिषेक प्रताप, विदिशा के सुरेश कुमार और बैतूल के शिवप्रसाद की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि हर परीक्षा में आयोग प्रश्न पत्रों की त्रुटिपूर्ण रचना करता है। कई प्रश्नों के सही उत्तरों को मान्य नहीं किया जाता है। प्रोविजनल आंसर शीट जारी करने के बाद एक प्रश्न की आपत्ति पर 100 रुपए की वसूली की जाती है।
इतिहास के पेपर में 39 प्रश्नों में गलतियां
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि सामान्य अध्ययन के पेपर में 4 प्रश्न और इतिहास के पेपर में 39 प्रश्नों के उत्तरों में त्रुटियां की गईं हैं। अधिकांश प्रश्नों के एक से ज्यादा उत्तर सही हैं, लेकिन एक ही मान्य किया गया है। याचिका दाखिल करने के बाद 25 सितंबर को MPPSC ने रिजल्ट जारी कर दिया है। इसमें याचिकाकर्ताओं का चयन नहीं हुआ है। इसलिए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
गलत प्रश्न का एक उदाहरण
प्रश्न पत्र में एक प्रश्न दिया गया है ‘वीजा की प्रतीक्षा’ किसकी आत्मकथा है ? इसका उत्तर है डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लेकिन ये प्रश्न गलत और अधूरा है। सही प्रश्न है ‘वीजा की प्रतीक्षा में’। इस तरह 13 प्रश्न हैं जिनकी गलत रचना की गई है। इन सभों मुद्दों को लेकर सन्दर्भ सहित याचिका दाखिल की गई है।
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वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने और क्या कहा ?
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि यदि सभी त्रुटिपूर्ण उत्तर दाखिल सन्दर्भ के अनुसार मान्य कर लिए जाते तो याचिकाकर्ता साक्षात्कार के लिए एलिजिबल हो जाएंगे। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इतिहास विषय के प्राध्यापकों की आगामी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए ताकि थर्ड पार्टी इंट्रेस्ट उत्पन्न न हो सके।
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