Madhya Pradesh Anukampa Niyukti Controversy Update: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कमिश्नर की सीएमओ को धमकाने वाली कार्यशैली को गलत बताया। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार की कॉस्ट लगाई है।
दरअसल, भोपाल के रहने वाले भैयालाल सिंह मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनपर आरोप था कि उन्होंने 1999 में सुरेंद्र सिंह राजपूत को गलत तरीके से अनुकंपा नियुक्ति दी थी। इस मामले में, कमिश्नर ने जांच अधिकारी पर दबाव डालकर एक कर्मचारी के खिलाफ दंडात्मक रिपोर्ट बनवाई थी और भैयालाल सिंह को दोषी ठहराकर उन पर रिकवरी लगाई थी।
सरकार ने नियुक्ति को दी थी मंजूरी
याचिकाकर्ता भैयालाल सिंह की ओर से वकील ने बताया कि उन्होंने अपने प्रस्ताव में यह स्पष्ट रूप से लिखा था कि सुरेंद्र राजपूत मृतक का पुत्र नहीं, बल्कि भतीजा है, लेकिन फिर भी सरकार ने नियुक्ति को मंजूरी दी थी। कुछ राशि की रिकवरी भी शुरू कर दी। जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि कमिश्नर के अधिकार का दुरुपयोग मानते हुए कहा कि कमिश्नर का यह कृत्य कानूनी रूप से गलत और पक्षपातपूर्ण था।
29.70 लाख की रिकवरी को रद्द किया
हाई कोर्ट ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कमिश्नर द्वारा की गई पूरी कार्रवाई को अवैध और अनुचित करार दिया। इस फैसले के तहत, कोर्ट ने याचिकाकर्ता भैयालाल सिंह के खिलाफ निकाली गई ₹29 लाख 70 हजार की रिकवरी को रद्द कर दिया। कोर्ट ने उनकी अनुकंपा नियुक्ति को सही ठहराया।
45 दिन में सरकार जमा करें कॉस्ट
इसके साथ ही, कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि वह रिकवरी की पूरी राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करे। कोर्ट ने राज्य सरकार पर भी ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया, जिसे 45 दिनों के अंदर चुकाने का आदेश दिया गया है। इसके बाद भुगान पर ब्याज समेत कॉस्ट देना होगी।