भोपाल। मध्यप्रदेश के सिंगरौली में एक गांव है बुधेला जहां के एक स्कूल को दुनिया का 9वां अजूबा कहा जाता है। यहां के करीब 200 बच्चे दोनों हाथों से एक साथ लिखने का हुनर जानते हैं। गांव में स्थित वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल (Veena vadini public school) में करीब 200 बच्चे पढ़ते हैं और हैरान करने वाली बात यह है कि हर बच्चे के पास दोनों हाथों से लिखने का हूनर है।
राजेंद्र प्रसाद से हुए प्रेरित
बुधेला में इस स्कूल की स्थापना 1999 में पूर्व सैनिक वीपी शर्मा ने की थी। वे भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) से काफी प्रभावित हैं। उनका कहना है कि मैं एक बार राजेंद्र प्रसाद के बारे में पढ़ रहा था तब मुझे पता चला कि वे दोनों हाथों से लिखते थे। इसके बाद मैंने भी प्रण लिया कि मैं अपने स्कूल में बच्चों को दोनों हाथों से लिखना सिखाऊंगा। इसके लिए वीणा वादिनी में कक्षा एक से छात्रों को दोनों हाथों से लिखने का प्रशिक्षण दिया गया। जब बच्चे क्लास-3 में पहुंचते हैं, तो दोनों हाथों से लिखने में सहज हो जाते हैं।
कई भाषाओं में दी जाती है शिक्षा
7वीं और 8वीं तक आते-आते बच्चों की स्पीड और एक्युरेसी भी बढ़ जाती है। स्कूल में बच्चों को एक साथ दोनों हाथों से दो लीपियों में भी लिखने की ट्रेनिंग दी जाती है। इतना ही नहीं यहां छात्रों को कई भाषाओं जैसे- देवनागरी, उर्दू, स्पेनिश, रोमन और अंग्रेजी की भी शिक्षा दी जाती है। पूर्व सैनिक वीपी शर्मा बताते हैं कि यह एक साधना की तरह है। ध्यान, योग और दृढ़ संकल्प होकर इस लक्ष्य को पाया जाता है। स्कूल में रोजाना करीब डेढ़ घंटे ध्यान और योग की कक्षाएं भी लगती हैं।
स्कूल को दुनिया का 9वां अजूबा भी कहा जाता है
एक बार लायंस कल्ब इंटरनेशनल के तत्कालीन चेयरमैन जोनिस रोज, मध्य प्रदेश घूमने आए थे। उन्होंने वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल का दौरा किया। जहां वह एक साथ 200 बच्चों का ये हुनर देखकर दंग रह गए। उन्होंने इस हुनर को 9वां अजूबा कहा था।