Most expensive city of World: EIU यानी इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (Economic Intelligence Unit) ने निवास करने के हिसाब से दुनिया भर के शहरों की रैंकिंग की है। अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया में रहने के लिए सबसे महंगा शहर कौन सा है? (Most expensive city of World) तो आप शायद दुबई, न्यूयॉर्क, लंदन या मुंबई का नाम लेंगे। लेकिन जिस शहर को EIU ने अपनी लिस्ट में सबसे ऊपर रखा है, दुनिया के बाकी शहरों की तुलना में वहां रहना सबसे महंगा है। यह शहर है इजराइल (Israel) का तेल अवीव। (Tel Aviv becomes world most expensive city)
रहने के लिए सबसे सस्ता शहर
पहले की रिपोर्ट पर नजर डालें तो इस बार तेल अवीव पांच पायदान चढ़कर पहले नंबर पर पहुंच गया है। इस लिस्ट को वर्ल्डवाइड कॉस्ट ऑफ लिविंग इंडेक्स (Worldwide Cost of Living Index) 173 शहरों में वस्तुओं के लिए अमेरिकी डॉलर में कीमतों की तुलना के आधार पर जारी किया गया है। इस लिस्ट में जहां तेल अवीव को रहने के लिए सबसे मंहगा शहर बताया गया है। वहीं सीरिया की राजधानी दमिश्क (Damascus, the capital of Syria) को रहने के लिए दुनिया का सबसे सस्ता शहर बताया गया है।
लिस्ट में भारत के इस शहर को माना गया है सबसे सस्ता
बता दें कि EIU ने सस्ते शहरों की रैंकिंग में लीबिया का ट्राइपोलि, उज्बेकिस्तान का ताशकंद, ट्यूनीशिया का टुनिस, कजाकिस्तान का अल्माटी, पाकिस्तान का कराची, भारत का अहमदाबाद, अर्जेंटीना का ब्यूनस आयर्स, अल्जीरिया का अल्जीयर्स और जाम्बिया का लुसाका शहर को शामिल किया है।
इस कारण से तेल अवीव को सबसे महंगा शहर माना गया
गौरतलब है कि तेल अवीव को रैंकिंग में सबसे महंगा शहर इसलिए बताया गया है क्योंकि डॉलर के मुकाबले यहां की राष्ट्रीय मुद्रा, शेकेल (Israeli Shekel), परिवहन और घरेलू सामान की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई है। महंगे शहरों की लिस्ट में पेरिस और सिंगापुर संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर हैं। इसके बाद ज्यूरिख और हांगकांग का नंबर आता है। जबकि न्यूयॉर्क को छठा और जिनेवा को सातवां स्थान दिया गया है।
आठवें स्थान पर कोपेनहेगन, नौवें पर लॉस एजिल्स और 10वें स्थान पर जापान का ओसाका शहर है। यानी भारत का एक भी शहर इस लिस्ट में टॉप-10 महंगे शहरों में शामिल नहीं है। बता दें कि पिछले साल के सर्वे में पेरिस, ज्यूरिख और हांगकांग को संयुक्त रूप से इस लिस्ट में पहले स्थान पर रखा गया था।
इस वजह से कीमतों में आई तेजी
इस साल के आंकड़े अगस्त और सितंबर के हैं। जब दुनिया भर में दैनिक उपयोग की वस्तुओं और वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई थी। तदनुसार, स्थानीय कीमतों में औसतन 3.5% की वृद्धि हुई। जो पिछले पांच साल में सबसे तेज महंगाई दर है। ईआईयू में वर्ल्डवाइड कॉस्ट ऑफ लिविंग की प्रमुख उपासना दत्त (Upasana Dutt) के अनुसार, “कोरोनावायरस महामारी (coronavirus pandemic) के कारण लगाए गए प्रतिबंधों ने सामानों की आपूर्ति को बाधित कर दिया, जिससे कीमतों में तेजी आई।”