भोपाल। Morena Police News सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना एसपी आशुतोष बागरी को हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। दरअसल, सीएम गुरुवार को मुरैना दौरे पर थे। यहां स्थानीय लोगों ने एसपी की शिकायत करते हुए उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए थे।
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बात दें कि स्थानीय व्यक्ति कुछ मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से नाराज थे। जिसके चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना एसपी को तत्काल प्रभाव से हटाए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। सीएम के इस आदेश के बाद से मुरैना पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
इंदौर में बच्चों को पढ़ाने पहुंच गए थे बागरी
बता दें कि बागरी साल 2015 बैच के IPS हैं। पन्ना जिले के रहने वाले बागरी मुरैना में एडिशनल SP के पद पर भी रह चुके हैं। इंदौर में पूर्वी क्षेत्र के एसपी रहते हुए आशुतोष बागरी एक दिन रविवार को बच्चों को पढ़ाने के लिए लालबाग गए थे।
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यहां छत्रीपुरा थाने के सिपाही संजय कांवरे कक्षा संचालित करते हैं। जहां पहुंचकर एसपी ने बच्चों को पढ़ाया। यहां बच्चों को पढ़ाते हुए एसपी ने कार्टून के जरिए बच्चों को अंग्रेजी सीखने के लिए प्रोजेक्टर की व्यवस्था किए जाने की बात भी कही थी। यहां गरीब बस्ती के करीब 50 बच्चे रविवार को पढ़ने पहुंचते हैं।
मुरैना एसपी पिता हुए थे सस्पेंड
जानकारी के मुताबिक मुरैना एसपी आशुतोष बागरी के पिता लालाजी बागरी बागरी के लिए भी जनवरी महीने में कलेक्टर ने निलंबित किया था। वे पेशे से सरकारी शिक्षक हैं और करदाता होते हुए भी गरीबों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का लाभ लेने का आरोप था।
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मुरैना पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के पिता द्वारा इस योजना का लाभ लिए जाने की जानकारी जैसे ही फैली थी तो उस वक्त काफी बवाल मच गया था। उनके नाम का टिकट भी न चुका था। जैसे ही नामों की सूची सार्वजनिक हुई तो उनके नाम का खुलासा हो गया।
प्रशासन ने जांच की थी
जब पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के पिता का नाम मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना की लिस्ट में मिला तो प्रशासन ने जांच की। एसपी के माता-पिता का नाम लिस्ट में पाए जाने के बाद लालजी बागरी के लिए निलंबित कर दिया गया था। सूची से उनका नाम भी हटा दिया था।
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तब पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के पिता ने कहा था कि उन्हें यात्रा नहीं करनी थी। इसलिए उन्होंने इसकी विभागीय अनुमति भी नहीं ली थी। यह फार्म उन्होंने नहीं भरा था। किसी परिचित द्वारा फार्म भर दिया गया था। हां, उन्होंने फार्म पर दस्तखत जरूर किए थे। योजना के लिए वे अपात्र हैं ऐसी उनको जानकारी नहीं थी।