Morena Gajak: सर्दी में लोग तिल, गुड, मूंगफली से बने विभिन्न प्रकार की खाद्य वस्तुओं का उपयोग करते हैं। इन्हीं में से एक है गजक, जिसे लोग बड़े चाव से सर्दियों में खाते हैं। खासकर मुरैना का गजक काफी मशहूर माना जाता है। आप मध्यप्रदेश के किसी भी शहर में चले जाएं या देश के अन्य राज्यों में भी गजक को मुरैना की गजक के नाम से ही बेचा जाता है। हर दुकानदार दावा करता है कि वह मुरैना की गजक ही बनाता है। ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर इस गजक में ऐसा क्या होता है जो इसे वर्ल्ड फेमस बनाता है।
क्यों फेमस है मुरैना की गजक?
वैसे तो मुरैना की गजक के फेमस होने के दो कारण हैं। पहला- इसे खास तरीके से बनाया जाता है, जिसे लोग काफी पसंद करते हैं। यहां की गजक में तिल, गुड़, चीनी का खास मिश्रण होता है और यह मिश्रण खास तरीके से कूट-कूटकर बनाया जाता है, इस वजह से यह काफी फेमस है। दूसरा कारण यह है कि मुरैना की भौगोलिक स्थिति के कारण भी लोग यहां की गजक को पसंद करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है निर्यात
मुरैना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार चंबल नदी के पानी में पाए जाने वाले कुछ घटकों के कारण इससे एक मिठाई विकसित की गई थी। जिसे प्रसिद्ध मुरैना की गजक के नाम से जाना जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निर्यात किया जाता है। मालूम हो कि 5 से 8 किलोग्राम गजक तैयार करने में लगभग 10-15 घंटे लगते हैं। इसे माहिर कारीगर के देख रेख में तैयार किया जाता है।
खास तरीके से इसे बनाया जाता है
कारीगर इस गजक को खास तरीके से बनाते हैं। सबसे पहले गुड़, चीनी और पानी के मिश्रण से एक चाशनी तैयार करते हैं। चाशनी को पेस्ट बनने तक आग पर रखा जाता है। इसके बाद इसे अच्छे से मिलाया जाता और फिर उसे कील पर लटका दिया जाता है। कील पर लटका कर इसे ठंडा किया जाता है। इसके बाद अलग से तिल को गर्म किया जाता है। तिल को गर्म होने के बाद ठंडा होने के लिए रखा जाता है और बाद में फिर चाशनी के साथ तिल को मिक्स करके कुटा जाता है। इसे तब तक कुटा जाता है जब तक कि ये खास्ता न हो जाए। खास्ता होने के बाद इसे काट-काट कर गजक का रूप दे दिया जाता है।
मुरैना गजक की तरह बिहार में प्रसिद्ध है गया की तिलकुट
मुरैना की गजक की तरह ही बिहार-झारखंड में ‘तिलकुट’ की काफी मांग रहती है। इसे गजक की तरह ही बनाया जाता है, लेकिन इसका साइज और सेप अलग होता है। बिहार की धार्मिक नगरी गया में इसे खासतौर पर बनाया जाता है। यहां करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व से तिलकुट बनाया जा रहा है। यहां तिलकुट की कई किस्में हैं। जैस- मावेदार तिलकुट, खोया तिलकुट, चीनी तिलकुट और गुड़ तिलकुट।