Mohini Ekadashi 2024: हर साल की तरह इस साल की मोहिनी एकादशी का त्योहार वैशाख शुक्ल पक्ष के ग्यारहवे दिन मनाया जाएगा। हर महीने की ग्यारहीं तिथि एकादशी तिथि कहलाती है। इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई 2024 को रखा जाएगा। कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया है। इस अवतार के पीछे क्या कारण है चलिए जानते हैं।
मोहिनी एकादशी पूजा विधि
1: ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार मोहिनी एकादशी पर यदि आप पूरे विधि विधान से पूजन करते हैं तो आपकी हर मनोकामना पूरी होती है साथ ही आपको सारे पापों से मुक्ति मिलती है।
2: अगर आपको व्रत रखना है तो सुबह जल्दी उठें।
3: स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।
4: इस दौरान ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।
5: गणेश जी पूजा करें, इसके बाद भगवान विष्णु का पूजन करें और भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें।
5: व्रत करने वाले भक्त को दिनभर निराहार रहना रहें।
6: शाम को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
7: एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। तुलसी परिक्रमा करें।
मोहिनी एकादशी के उपाय
1: मोहिनी एकादशी के दिन आपको शंख से जुड़ा एक बेहद आसान उपाय जरूर करना चाहिए। इसके लिए आप एक मोहिनी एकादशी यानी 19 मई को भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पहले विष्णु जी का दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान का अभिषेक करें। चाहें तो दूध में केसर मिलाकर उसके साथ भी अभिषेक किया जा सकता है। इसके बाद भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग जरूर लगाएं।
2: मंदिर में अन्न का दान करना चाहिए।
3: भगवान विष्णु पीतांबरधारी हैं, इसलिए कोशिश करें मोहिनी एकादशी पर उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें।
4: भगवान विष्णु को तुलसी की माला जरूर चढ़ाएं।
मोहिनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए
मोहिनी एकादशी पर गरीबों का अपमान न करें।
किसी का दिल न दुखाएं।
व्रत को पूरी इमानदारी के साथ करें।
इस दिन क्रोध बिल्कुल भी न करें।
परिवार में वाद-विवाद और क्लेश से बचें।
गलत कामों से बचना चाहिए।
सुबह देर तक न सोएं बल्कि सूर्योदय के पहले ही उठ जाएंं।
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi)का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे करने से साधक के संचित पुण्यों में वृद्धि होती है और पिछले जन्म सहित इस जन्म के पापों का नाश हो जाता है।
इस एकादशी के महत्त्व को सबसे पहले वशिष्ठ मुनि ने भगवान राम को समझाया था। द्वापर युग में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से युधिष्ठिर को इस व्रत की महत्ता को बताया है। इस व्रत को करने से हजार गायों के दान, यज्ञों और तीर्थों की यात्रा का फल प्राप्त होता है।
इसे करने से साधक जन्म और मृत्यु चक्र से मुक्त हो जाते हैं। इस व्रत का पालन अमोघ फलदायी और मोक्षदायी है।
क्यों कहते हैं इसे मोहिनी एकादशी
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था। उस समय मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देव और दानवों के झगड़े को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था। इसके बाद बड़ी ही चतुरई से सारा अमृत देवों को पिला दिया था। इस कल्याणकारी काम से दानवों को अमरता नहीं मिली थी, अन्यथा सृष्टि का संहार निश्चित था।
मोहिनी एकादशी व्रत (Mohini Ekadashi Vrat) भगवान विष्णु और उनके अवतार मोहिनी की पूजा करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से भक्त को सुखमय और विलासिता भरा जीवन प्राप्त होता है।
मोहिनी एकादशी व्रत के पालन के दौरान साधक-साधिका पूर्ण शुचिता का ध्यान रखते हैं। मान्यता के अनुसार, मोहिनी एकादशी के उपवास से तन और मन की शुद्धि हो जाती है। यह व्रत-पूजन भीषण गर्मी के मौसम में होता है। इसलिए यह काफी मुश्किल व्रतों में से एक माना जाता है।
इन मंत्रों से करें मोहिनी एकादशी की पूजा
इस एकादशी के दिन साधक को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा-आराधना करनी चाहिए। इस मौके पर ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से माला जाप करना भी उत्तम है।
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