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Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने प्रदेश के पहले संघ भवन का किया उद्घाटन, कहा जो हिंदू हैं उनसे पूछा जाएगा, संघ का काम....

Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) Mohan Bhagwat Kanpur Keshav Bhavan and Dr. Bhimrao Ambedkar Auditorium Inauguration update

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anurag dubey
Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने प्रदेश के पहले संघ भवन का किया उद्घाटन, कहा जो हिंदू हैं उनसे पूछा जाएगा, संघ का काम....
रिपोर्ट, अनुराग श्रीवास्तव, कानपुर
हाइलाइट्स 
  • वैदिक मंत्रोच्चार और भारत माता की पूजा के साथ शुरू हुआ समारोह
  • समारोह में अभूतपूर्व भीड़ उमड़ी, जिसने उत्सव का माहौल बनाया
  • समाज से एकता और समानता का काम फिर से शुरू
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Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सोमवार को कानपुर के अफीम कोठी क्षेत्र में नवनिर्मित केशव भवन और डॉ. भीमराव आंबेडकर सभागार का उद्घाटन किया। यह आयोजन डॉ. आंबेडकर की जयंती के अवसर पर आयोजित हुआ । ऐसे में वैदिक मंत्रोच्चार और भारत माता की पूजा के साथ शुरू हुए इस समारोह में अभूतपूर्व भीड़ उमड़ी, जिसने उत्सव का माहौल बनाया।

अपने संबोधन में डॉ. भागवत ने कहा कि संघ का काम केवल संघ तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे समाज और देश के लिए है। उन्होंने कहा, “संघ का काम देश के हर व्यक्ति के लिए है। यह हिंदू समाज का काम है और भारत की प्राचीन परंपराओं को विश्व में प्रतिष्ठित करने की जिम्मेदारी हमारी है।” उन्होंने भारत की वैश्विक स्तर पर बढ़ती साख का जिक्र करते हुए हिंदू समाज से इसे और ऊंचा उठाने का आग्रह किया।

समाज से एकता और समानता का काम फिर से शुरू

ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि पिछले दो हजार वर्षों में आपसी स्वार्थ और भेदभाव के कारण समाज बंट गया, जिसका फायदा विदेशी आक्रांताओं ने उठाया। “भेद पैदा हुए, खाई चौड़ी हुई और विदेशियों ने हमें लूटा और पीटा,”उन्होंने समाज से एकता और समानता का काम फिर से शुरू करने की अपील की और संघ को एक मोटर के स्टार्टर की तरह बताया, जो पूरे समाज को गति देता है।

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डॉ. भागवत ने जोर देकर कहा कि भारत हिंदू समाज का घर है और जो खुद को हिंदू कहते हैं, उनसे अच्छे-बुरे का हिसाब मांगा जाएगा। “अगर भारत प्रतिष्ठित और सुरक्षित होगा, तो विश्व भर के हिंदू सुरक्षित होंगे, उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर हिंदू समाज का संगठन कार्य चल रहा है और भारत में यह जिम्मेदारी संघ निभा रहा है। उन्होंने संघ को एक जीवन शैली और भावना बताया, जो कार्यालयों में अनुभव होती है।

आंबेडकर ने बचपन से उपेक्षा झेली और समाज में समता लाने के लिए किया संघर्ष

डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि उन्होंने विषमता को जड़ से उखाड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। “आंबेडकर ने बचपन से उपेक्षा झेली और समाज में समता लाने के लिए संघर्ष किया। वे और संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार, दोनों ने अपने लिए कुछ नहीं किया, बल्कि समाज के लिए काम किया,” उन्होंने कहा। उन्होंने 1934 में कराड की एक शाखा के कार्यक्रम का जिक्र किया, जहां आंबेडकर ने मतभेदों के बावजूद संघ के प्रति आत्मीयता दिखाई थी।

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आंबेडकर और हेडगेवार का लक्ष्य एक ही था—समाज का उत्थान

डॉ. भागवत ने नए केशव भवन को संघ की भावनात्मक और कार्यात्मक पहचान का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “संघ कोई विलासिता नहीं, बल्कि स्वयंसेवकों के बल पर चलने वाली भावना और जीवन है। जब संसाधन नहीं थे, तब स्वयंसेवकों के घरों में काम होता था।”

उन्होंने कार्यकर्ताओं से संघ के काम को बढ़ाने और भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया।उन्होंने बुद्ध के विचारों और आंबेडकर के समता के दृष्टिकोण को याद करते हुए समाज से एकता और बंधु भाव को मजबूत करने की अपील की। “आंबेडकर और हेडगेवार का लक्ष्य एक ही था—समाज का उत्थान। आइए, इस कार्य को और सशक्त करें ताकि भारत विश्व का मार्गदर्शन कर सके।

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