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मोहम्मद अजहरूद्दीन : बल्लेबाजी की विरासत संभालने केरल से उठा तूफान

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Bhasha
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नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) किकेट को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है, लेकिन अगर अनुकूल परिस्थितियां मिलें तो कोई भी खिलाड़ी 22 गज की पिच पर बल्ले या गेंद से बेहतरीन प्रदर्शन करके अपना भविष्य सुनिश्चित कर सकता है। केरल के 25 वर्षीय मोहम्मद अजहरूद्दीन के साथ ठीक ऐसा ही हुआ जब उन्होंने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सिर्फ 37 गेंदों में शतक जमाकर अपने राज्य का नाम रौशन करने के साथ ही अपने लिए बेहतरीन संभावनाओं के रास्ते खोल दिए।

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यूं तो 13 जनवरी का दिन भी बाकी दिनों की तरह सामान्य ही था, उत्तर भारत में भारी सर्दी के साथ लोहड़ी के त्यौहार की धूम थी और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में केरल और मुंबई के बीच सैयद मुश्ताक अली ट्राफी का मुकाबला होने वाला था। मिनी आईपीएल कहे जाने वाले 20 ओवर के इस टूर्नामेंट में मोहम्मद अजहरूद्दीन ने केरल की तरफ से पहला शतक बनाने के साथ ही अपने नाम को भी सार्थक कर दिया।

22 मार्च 1994 को केरल के कासरगोड़ जिले के थालंगर गांव में बी के मोइडु और नफीसा के यहां एक लड़के का जन्म हुआ। यह दंपति की आठवीं संतान थी और माता पिता उनका नाम अजमल रखना चाहते थे। उन दिनों मोहम्मद अजहरूद्दीन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हुआ करते थे और टीम अपने न्यूजीलैंड दौरे पर थी। 19 से 23 मार्च के बीच हेमिल्टन में टेस्ट मैच खेला जा रहा था और ऐसे में क्रिकेट के दीवाने कमरूद्दीन को यह कतई पसंद नहीं आया कि उनके छोटे भाई का नाम अजमल रख दिया जाए।

लिहाजा वह लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि उनके भाई का नाम अजहरूद्दीन रखा जाए। माता पिता इसके लिए पहले तो तैयार नहीं हुए, लेकिन जब कमरूद्दीन किसी सूरत नहीं माने तो नन्हें से बच्चे को नया नाम दिया गया मोहम्मद अजहरूद्दीन। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट टीम के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार किए जाने वाले पूर्व कप्तान की विरासत को संभालने का जिम्मा बड़ी उम्मीदों के साथ उस दुधमुंहे बच्चे पर डाल दिया गया, जिसे उन्होंने करीब 26 बरस बाद बखूबी निभाया।

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अजहरूद्दीन के सभी भाई जिला स्तर पर क्रिकेट खेल चुके हैं और वह भी गेंद और बल्ले के साथ बड़े हुए और 15 साल की उम्र में कोट्टयम की क्रिकेट एसोसिएशन अकादमी पहुंच गए। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अजहरूद्दीन का पदार्पण 15 नवंबर 2015 को हुआ, जब उन्होंने रणजी ट्राफी में केरल का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 2 जनवरी 2016 को सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में अपना पहला टी20 मुकाबला खेला।

इस दौरान अजहरूद्दीन का प्रदर्शन सामान्य ही रहा, लेकिन भारत के पूर्व तेज गेंदबाज और केरल के कोच टीनू योहानन को उसकी प्रतिभा पर भरोसा था। मैच के बाद उन्होंने अजहरूद्दीन की बल्लेबाजी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उससे एक अच्छी पारी की उम्मीद तो थी, लेकिन वह इतनी शानदार होगी यह नहीं सोचा था। उन्होंने कहा कि स्क्वायर लेग की तरफ लगाए गए उसके शॉट्स लाजवाब थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता था कि वह लंबे शॉट लगाने वाला बल्लेबाज है। किन्हीं कारणों से उसे सही पोजीशन नहीं मिली। वह छठे या सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरता था जो उसके खेल के लिए ठीक नहीं था।’’

अजहरूद्दीन की इस पारी की क्रिकेट के दिग्गजों ने भी जमकर सराहना की है। वीरेन्द्र सहवाग ने मैच खत्म होने के फौरन बाद ट्वीट किया, ‘‘वाह अजहरूद्दीन, बेहतरीन। मुंबई के खिलाफ 54 गेंद में नाबाद 137 रन बनाए और अकेले दम मंजिल तक पहुंचाया। इस पारी का लुत्फ उठाया।’’

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हर्षा भोगले ने ट्वीट किया, ‘‘मैने बहुत बरस पहले एक असाधारण खिलाड़ी को देखा था, जिसका नाम मोहम्मद अजहरूद्दीन था। अब मैं उसी नाम के एक अन्य खिलाड़ी को देख रहा हूं। वाह वह वही शॉट खेल सकता है।’’

अजहरूद्दीन ने अपनी इस पारी से कई कीर्तिमान अपने नाम कर लिए। सबसे तेज शतक बनाने वालों में अब उनका नाम भी शुमार हो गया है। केरल के लिए सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड अब रोहन प्रेम (92 रन) के नाम पर नहीं बल्कि मोहम्मद अजहरूद्दीन के नाम पर है। दाएं हाथ के इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और दाएं हाथ के बल्लेबाज मोहम्मद अजहरूद्दीन को मैदान पर खेलते कभी नहीं देखा, लेकिन एक दिन आएगा जब उनकी बल्लेबाजी इतनी मंझ जाएगी कि वह अजहर की बेहतरीन और कलात्मक बल्लेबाजी के सच्चे उत्तराधिकारी बन जाएंगे।

भाषा

एकता प्रशांत

प्रशांत

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