नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कैबिनेट का विस्तार करने जा रहे हैं। बुधवार शाम छह बजे संभावित कैबिनेट का विस्तार होगा। इस शपथग्रहण समारोह में 43 नए मंत्री शपथ ले सकते हैं। हालांकि इन 43 नामों में सबसे अहम नाम है मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए, सिंधिया आज सुबह प्रधानमंत्री मोदी से भी मिल चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
बीच में दौरा छोड़कर दिल्ली गए
बतादें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को एमपी दौरे पर थे। लेकिन उन्हें बीच में ही दौरा रद्द करना पड़ा। क्योंकि दिल्ली से उन्हें बुलावा आ गया था। हालांकि मंगलवार को जब मीडिया ने उनसे पूछा था कि आप बीच में ही दौरा रद्द करके दिल्ली जा रहे हैं। क्या आपको मंत्री पद के लिए बुलाया गया है? इस पर उन्होंने कहा था कि मुझे मालूम नहीं है, इस बारे में मुझे कोई सूचना नहीं है।
हालांकि, बुधवार को पीएम मोदी से मिलने ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पहुंचे थे। इससे तय हो गया कि संधिया मोदी कैबिनेट में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक सफर पर।
पिता के निधन के बाद सांसद बने थे ज्योतिरादित्य
पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक सफर की शुरूआत 2002 में हुई थी। वे इसी साल पहली बार सांसद भी चुने गए थे। बतादें कि 18 सितंबर, 2001 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की एक हवाई हादसे में मृत्यु हो गई थी। तब वे गुना से लोकसभा सांसद थे। उनके निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था और फरवरी 2002 में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर दिल्ली पहुंचे थे।
ऑक्सफोर्ड में नहीं हो पाया था सिंधिया का एडमिशन
ज्योतिरादित्य सिंधिया के अगर शुरूआती जीवन को देखें तो उनकी पढ़ाई दून स्कूल से हुई है। उनके पिता माधवराव सिंधिया को लगता था कि अगर बेटे को सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में पढ़ाया गया। तो उन्हें यहां ज्यादा लाड़-प्यार मिलेगा। इस कारण से उन्होंने ज्योतिरादित्य को दून स्कूल पढ़ने के लिए भेज दिया था। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज पहुंचे। पिता चाहते थे कि बेटा इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़े लेकिन किसी कारण से उनका एडमिशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में नहीं हो सका। ऐसे में उनका एडमिशन अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कराया गया था।
1993 में भारत लौटे
साल 1991 में पढ़ाई पूरी करने के बाद सिंधिया ने लॉस एंजिल्स में अंतरराष्ट्रीय कंपनी मैरिल लिंच के साथ अपने करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ में भी काम किया। इसके बाद वे अगस्त, 1993 में भारत लौट गए और यहां उन्होंने मुंबई में मॉर्गन स्टेनले कंपनी में काम किया। लेकिन पिता के निधन के बाद उन्हें अचानक से राजनीति में प्रवेश करना पड़ा। राजनीति में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। दो दशक तक कांग्रेस में रहने के बाद अब सिंधिया मोदी कैबिनेट में रेल मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं।