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Mithila Makhana: खुशखबरी ! बिहार की गलियों से निकलकर विदेशों तक कमाएगा नाम, मिल गया ये खिताब, जानें इसकी पूरी जानकारी

5 साल की कड़ी मेहनत को आकार मिला है जिसमें राज्य के मिथिला मखाना को ज्योग्राफ़िकल इंडिकेशन टैग (GI Tag for Mithila Makhana) प्रदान किया है।

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Bansal News
Mithila Makhana: खुशखबरी ! बिहार की गलियों से निकलकर विदेशों तक कमाएगा नाम, मिल गया ये खिताब, जानें इसकी पूरी जानकारी

Mithila Makhana। बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी सामने आ रही जहां पर 5 साल की कड़ी मेहनत को आकार मिला है जिसमें राज्य के मिथिला मखाना को ज्योग्राफ़िकल इंडिकेशन टैग (GI Tag for Mithila Makhana) प्रदान किया है जिससे अब किसानों की मेहनत विदेशो में रंग बिखरेगी।

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किसानों की मेहनत को मिला तोहफा

आपको बताते चले कि, मिथिलांचल मखाना को जीआई टैग दिलवाने के लिये बिहार के किसान काफी लंबे समय से मेहनत कर रहे थे. इस खिताब के पीछे राज्य कृषि विभाग (Bihar Agriuclture Department) और बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agriculture University) के वैज्ञानिकों की 5 साल की कड़ी मेहनत और मार्गदर्शन का नतीजा आ नजर आया है जहां पर जीआई टैग मिला है। आपको बताते चलें कि, इससे पहले मिथिला रोहू मछली को भी GI Tag दिलाने तैयारी की जा रही है।

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जाने मखाने की खासियत

आपको बताते चलें कि, बिहार एक बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है जहां पर बड़ी मात्रा में मखाना की खेती की जाती है वहीं पर उत्पादन के मामले में करीब 90% मखाना की आपूर्ति की जाती जहां पर यह मखाना बिहार या अपने देश ही नहीं विदेशो में भी पहचान बनाए हुए है। बिहार के ज्यादातर किसानों की आमदनी भी मखाना पर ही निर्भर है, लेकिन जलवायु के जोखिमों के बीच मखाना की खेती (makhana Cultivation)  करना आसान नहीं है, बल्कि सूखा मेवा होने के कारण खेती से लेकर प्रोसेसिंग और मार्केटिंग तक काफी सावधानियां बरती जाती है। यहां पर अगर इसकी खेती की बात की जाए तो, बिहार के दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, पुर्णिया सहरसा, सुपौल, किशनगंज, मधेपुरा और अररिया जिलों मखाना की खेती के जरिये कई किसानों की आजीविका चलती है वहीं पर इसका उत्पादन योजना के साथ भी किया जाता है।

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