Kisan ka Beta London Mayor, Rajkumar Mishra Success Story: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के छोटे से गांव भटेवरा से निकले किसान पुत्र राजकुमार मिश्र ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने लंदन के एक प्रमुख शहर में मेयर बनकर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे जिले और देश का नाम रोशन किया है। किसान पिता मुन्ना लाल मिश्र के बेटे की इस कामयाबी पर गांव में उत्सव का माहौल है। लोग मिठाइयां बांट रहे हैं और खुशी जाहिर कर रहे हैं।
लंदन की राजनीति में रचा इतिहास
राजकुमार मिश्र (Kisan ka Beta London Mayor) आज जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचना हर किसी के लिए सपना होता है। उन्होंने अपने मेहनत और लगन से लंदन में पढ़ाई के बाद एक इंजीनियर के तौर पर काम शुरू किया, लेकिन जल्द ही उनका रुझान राजनीति की ओर हुआ। उन्होंने स्थानीय स्तर पर काउंसिलर का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने लेबर पार्टी से मेयर का चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजय हासिल की। अब वे उस देश में एक बड़े प्रशासनिक पद पर आसीन हैं, जहां कभी वे बतौर छात्र पहुंचे थे।
भटेवरा गांव में छाया खुशी का माहौल
जैसे ही राजकुमार मिश्र के मेयर बनने की खबर गांव पहुंची, पूरे भटेवरा गांव में उत्सव का माहौल बन गया। लोग उनके घर पहुंचकर पिता मुन्ना लाल मिश्र और भाई सुशील मिश्र को मिठाइयां खिला रहे हैं और बधाइयां दे रहे हैं। परिवार भी इस पल को गर्व से देख रहा है। पिता मुन्ना लाल ने बताया कि उन्हें शुक्रवार सुबह मोबाइल पर बेटे के मेयर बनने की जानकारी मिली। वे कहते हैं, “ऐसा कभी नहीं सोचा था कि बेटा इतनी ऊंचाई तक पहुंचेगा। हमारे लिए यह सपने के सच होने जैसा है।”
इंजीनियरिंग से लेकर मेयर तक का संघर्षपूर्ण लेकिन प्रेरणादायक सफर
राजकुमार मिश्र (Kisan ka Beta London Mayor) की शिक्षा की शुरुआत चंडीगढ़ से हुई, जहां उन्होंने बीटेक किया। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए और वहां से एमटेक पूरा किया। उन्होंने लंदन में ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर के रूप में काम शुरू किया और फिर नागरिकता प्राप्त की। इसके बाद राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने लगातार कड़ी मेहनत से लोगों का विश्वास जीता और आज लंदन के मेयर बन गए।
परिवार भी लंदन में बसा
राजकुमार मिश्र की शादी प्रतापगढ़ में हुई थी और उनकी पत्नी भी इंजीनियर हैं। फिलहाल वे अपने पूरे परिवार के साथ लंदन में रहते हैं। उनके दो बेटियां हैं, जिनमें एक अभी नवजात है और दूसरी लगभग डेढ़ साल की है। उनके भाई बताते हैं कि वे हर साल एक हफ्ते के लिए गांव आते हैं, लेकिन गर्मी ज्यादा होने के कारण ज्यादा दिन नहीं रुक पाते।
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गांव से शहर और फिर विदेश
राजकुमार मिश्र की सफलता की यह कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो छोटे गांवों से निकलकर बड़े सपने देखते हैं। यह साबित करता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो सीमाएं कभी रुकावट नहीं बनतीं। एक किसान का बेटा, जिसने कभी मिट्टी में खेलते हुए अपनी पढ़ाई शुरू की थी, आज लंदन जैसे विकसित देश में एक जिम्मेदार पद पर पहुंचा है।