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Suicide Prevention Strategy : आत्महत्या रोकथाम रणनीति को लेकर मंत्री सारंग ने बनाई टास्क फोर्स

Suicide Prevention Strategy : आत्महत्या रोकथाम रणनीति को लेकर मंत्री सारंग ने बनाई टास्क फोर्स Minister Sarang formed a task force on suicide prevention strategy sm

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Bansal News
Suicide Prevention Strategy : आत्महत्या रोकथाम रणनीति को लेकर मंत्री सारंग ने बनाई टास्क फोर्स

भोपाल। चिकित्सा शिक्षा मंत्री  विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि आत्महत्या रोकथाम रणनीति को लेकर इस बात पर जोर दिया गया कि इस रणनीति को तैयार करने के साथ आत्महत्या के रोकथाम को जन-आंदोलन के रूप में आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस जन-आंदोलन में सामाजिक संगठनों, शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठित-असंगठित क्षेत्र तथा उद्योग क्षेत्रों के प्रमुखों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।

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मंत्री सारंग ने उच्च स्तरीय बैठक के साथ मीडिया को बताया कि जल्द ही मध्यप्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग आत्महत्या रोकथाम की रणनीति तैयार करेगा। इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है।  सारंग ने कहा कि निश्चित रूप से पूरी दुनिया के सामने आत्महत्या की रोकथाम करना एक बड़ी चुनौती है। वर्तमान में समाज के विभिन्न वर्गों में आत्महत्या के प्रकरण बहुत तीव्र गति से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक समस्या को लेकर बहस छिड़ी हुई है। जिसको लेकर समाज के हर वर्ग को ध्यान में रख कर कार्य करना जरूरी है।

मंत्री  सारंग ने कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि आत्महत्या रोकथाम रणरणनीति का एक विस्तृत डॉक्यूमेंट तैयार करने में इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाएगा, जो सामाजिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए आगे आने वाले समय में इस समस्या की रोकथाम के लिए मील का पत्थर साबित होगा। आत्महत्या रोकथाम रणनीति बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है।

देश के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक होंगे टास्क फोर्स का हिस्सा

मंत्री सारंग ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इस निमित्त एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसमें देश के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक, कानूनी जानकार, समाज के विभिन्न पहलुओं में काम करने वाले विशिष्ट नागरिक शामिल है। आत्महत्या रोकथाम दिवस की पूर्व संध्या पर हुई बैठक की अध्यक्षता मंत्री  सारंग ने की। जिसमे निर्णय किया गया कि आत्महत्या रोकथाम रणनीति के विभिन्न आयामों को उल्लेखित करते हुए उप समितियों का गठन किया जाएगा। यह समितियाँ विभिन्न स्तर पर चर्चा कर अपने विचारों को समाहित करते हुए 2 महीने के अंदर रिपोर्ट देगी। इसके संकलन के बाद संपूर्ण दस्तावेज को अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।

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मंत्री  सारंग ने कहा कि निश्चित रूप से राज्य सरकार का यह अभिनव कदम और नवाचार है और इससे समाज में फैल रही इस बड़ी समस्या के निराकरण के लिए निश्चित रूप से मदद मिलेगी। विशेषज्ञों को सम्मिलित कर सरकार ने इस समस्या के निदान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।

मंत्री सारंग ने कहा कि वर्तमान में लोग केरियर, परिवार और शिक्षा आदि में मानसिक दबाव के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। इसको रोकने के लिये ठोस कदम उठाया जाना आज की आवश्यकता है।

मंत्री सारंग ने बताया कि इस संबंध में कानूनी पहलुओं पर विधि विशेषज्ञों के साथ मिल कर सम्पूर्ण समस्या के निराकरण पर विचार-विमर्श होगा। समाज और विभाग द्वारा मिल कर जन-जागरूकता को बढ़ावा दिया जायेगा इसके लिये 6 सब कमेटी भी बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने भी आत्महत्या की रोकथाम की दिशा में काम करने के लिये कार्य-योजना पर काम करने को कहा है।

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वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा टोल फ्री नम्बर किरण के नाम से जारी किया गया है। आने वाले समय में राज्य सरकार द्वारा भी हेल्प लाइन शुरू की जायेगी। साथ ही संबंधित को काउंसलिंग की व्यवस्था और परिजन को प्रशिक्षण भी देने का प्रयास किया जायेगा। व्यक्ति के व्यवहार परिवर्तन का डाटा एनालिसिस कर उस पर काम किया जायेगा।

टास्क फोर्स का गठन

टास्क फोर्स में मुम्बई के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. हरिश शेट्टी, पुणे के डॉ. ऋषिकेश वी. बेहरे, भोपाल के डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. डी विजय कुमार, मालवांचल विश्वविद्यालय के प्रो-वाईस चांसलर डॉ. रामगुलाम राजदान, एम्स के डॉ. विजयेन्द्र सिंह, वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. आर.एन. साहू, एल. एन. यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. डी के. सत्पथी, डॉ. राहुल रोकड़े और डॉ. जे.पी. अग्रवाल शामिल है।

रणनीति निर्धारण के लिये वर्गीकरण करना आवश्यक

मुंबई से आये प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. हरिश शेट्टी ने सुझाव दिया कि रणनीति निर्धारण के लिए वर्गीकरण करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने निम्न आय वर्ग एवं असंगठित श्रमिकों के भीतर आत्महत्या के कारणों को चिन्हित कर उनकी आवश्यकताओं पर बल दिया।

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अध्यात्मिक गुरुओं के माध्यम से भी किया जाये प्रचार

मंत्री सारंग ने कहा कि आत्महत्या के खिलाफ धार्मिक उपदेशों से जन-जागृति लायी जा सकती है। जिससे धर्म एवं अध्यात्म को भी रणनीति में जोड़ा जा सकता है। सुझाव दिया गया कि आत्महत्या की रोकथाम के लिए जन-प्रतिनिधियों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आत्महत्या की रोकथाम के प्रति जनता में का प्रचार किया जाये। विद्यालय एवं महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं की रोकथाम हेतु काउन्सलर नियुक्त करने का सुझाव भी आया।

पीपीपी मोड पर स्वयं सेवी संस्थाओं का भी लाये साथ

पुणे के मनोचिकित्सक डॉ. ऋषिकेश बेहरे ने सुझाव दिया कि आम जन-मानस में जागरूकता के लिये पीपीपी मोड पर स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ कार्य किया जाए, जिससे एक मिशन के रूप में इसका विस्तार किया जा सकेगा।

बाजार में उपलब्ध जहरीले पदार्थों की बिक्री को नियंत्रित करने बने कानून

भोपाल के मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकान्त त्रिवेदी ने आत्महत्या में उपयोग किये जाने वाले जहरीले पदार्थ जैसे कीटनाशक दवाएँ सहित विभिन्न विषैले पदार्थों की बिक्री को नियंत्रित करने रणनीति बनाने का सुझाव दिया। मंत्री  सारंग ने इस पर अपनी सहमति दी। बैठक में आयुक्त चिकित्सा शिक्षा श्री संजय गोयल, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. जितेन शुक्ला, देश प्रदेश के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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