Sagar Mansingh Patel Case: मध्य प्रदेश के सागर के बहुचर्चित मामले मानसिंह पटेल की गुमशुदगी में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। FIR 23 अगस्त को ही दर्ज कर ली गई थी, लेकिन यह अब सामने आई है।
इस FIR में खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के नाम का भी जिक्र है। यहां सवाल उठता है कि जब अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई तो मंत्री राजपूत का नाम इसमें क्यों आया। आइये आपको सिलसिलेवार बताते हैं।
किसने दर्ज कराई एफआईआर?
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 14 अगस्त को मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई गई। भोपाल देहात के आईजी अभय सिंह को इसका हेड, सीहोर एसपी मयंक अवस्थी और पीएचक्यू में पदस्थ अनुराग सुजानिया को सदस्य बनाया गया है।
सब इंस्पेक्टर संदीप खरे को एसआईटी की मदद के लिए जांच अधिकारी बनाया गया है। संदीप खरे की ओर से ही 23 अगस्त 2024 को यह क्रिमिनल केस के रूप में FIR दर्ज कराई गई है, हालांकि यह एफआईआर शुक्रवार, 6 सितंबर को सामने आई।
मंत्री राजपूत का FIR में जिक्र कैसे?
FIR अज्ञात के विरुद्ध दर्ज की गई है, लेकिन इसमें मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के नाम का भी जिक्र आया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिये थे कि शिकायत नंबर 9/2016 के आधार पर ही एफआईआर दर्ज की जाए।
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इस शिकायत में गोविंद सिंह राजपूत के नाम का जिक्र था। यही कारण है कि 23 अगस्त को अज्ञात के विरुद्ध जो एफआईआर दर्ज की गई, उसमें भी गोविंद सिंह राजपूत के नाम का जिक्र किया गया है।
पहले SIT की FIR पढ़ लीजिए
SIT की FIR में लिखा है- लापता मान सिंह के बेटे सीताराम ने सिविल लाइन थाने में शिकायत की थी कि मैं शिव विहार कॉलोनी, सागर में रहता हूं। खेती करता हूं। 21 अगस्त 2016 की रात करीब 11 बजे पिता मान सिंह ने मंदिर से वापस आकर बताया कि मेरा गोविंद सिंह राजपूत से विवाद हो गया है। 22 अगस्त की सुबह करीब 7 बजे मैं और पत्नी घर पर ही थे। पिता मान सिंह पटेल घर से लगे खेत से चारा लाने की बात कर निकले। काफी देर तक नहीं लौटे। आसपास ढूंढा। लोगों से पूछताछ की। कुछ पता नहीं चला।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा WP (crl) 108/2023 ओबीसी महासभा विरुद्ध मप्र शासन एवं अन्य में 6 अगस्त 2024 को आदेश दिया। इसकी कॉपी 21 अगस्त को मिली है। इसी आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 365 के तहत केस दर्ज किया गया है।
अब पूरा मामला जान लीजिए
मान सिंह पटेल साल 2016 में लापता हो गए थे। जमीन विवाद मामले में उनके बेटे सीताराम ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह राजपूत और उनके सहयोगियों पर पिता को गायब कराने का आरोप लगाया था।
सीताराम ने सागर के सिविल लाइन थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था। इस पर पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज किया था। बाद में सीताराम अपने बयानों से पलट गया।
बाद में सीताराम ने कहा कि उनके पिता मानसिंह को तीर्थ घूमने की आदत है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका मानसिंह पटेल के किसी पारिवारिक सदस्य नहीं बल्कि समाज ने लगाई।
ओबीसी महासभा ने ओबीसी समुदाय से संबंधित मानसिंह पटेल को पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट के ये हैं निर्देश
1. गुमशुदा व्यक्ति पंजीकरण संख्या 9/2016 को तुरंत एफआईआर के रूप में पंजीकृत किया जाएगा, हालांकि शुरुआत में केवल अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ। एफआईआर संख्या 23/2023 को फिलहाल स्थगित रखा जाएगा और एसआईटी इसका संज्ञान नहीं लेगी।
दूसरे शब्दों में, एसआईटी शिकायतकर्ता सीता राम पटेल के बयान को सत्य नहीं मानेगी, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता है कि वह अपने बयान बदलता रहता है और इसके पीछे उसकी अंतरात्मा ही जानती है। हम इस संबंध में आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
2. एसआईटी को निर्देश दिया जाता है कि वह जांच के दौरान ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों और सदस्यों तथा क्षेत्र के अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों को शामिल करें। उनके बयानों की वीडियोग्राफी की जाएगी। कमजोर गवाहों के मामले में, उनके बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जाने चाहिए।
3. गवाहों की सुरक्षा; सीआरपीसी की धारा 161/164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए अनुकूल माहौल; लोगों को आगे आने के लिए राजी करने के लिए उनमें आत्मविश्वास भरना; आदि जैसे उपाय सावधानीपूर्वक किए जाएंगे।
4. भूमि के स्वामित्व/हस्तांतरण से संबंधित दीवानी विवाद की उत्पत्ति को दर्शाने वाले राजस्व रिकॉर्ड सहित दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि मानसिंह पटेल के अचानक गायब होने के पीछे क्या कारण था।
5. नई एसआईटी चार सप्ताह के भीतर जांच पूरी करेगी। इसके बाद आवश्यक परिणाम सामने आएंगे। पीड़ित पक्ष इस न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र होंगे, यदि उन्हें अन्य कठोर उपायों का सहारा लेने की आवश्यकता हो।
गोविंद राजपूत पहले ही कर चुके हैं फैसले का स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के एसआईटी गठन के आदेश का मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पहले ही स्वागत कर चुके हैं। एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा था कि एसआईटी की जांच में सच्चाई सामने आएगी। राजनीति के चलते अनर्गल आरोप लगाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मेरे विरुद्ध की गई साजिश का भी पर्दाफाश होगा।
उन्होंने कहा कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर गुमराह कर रहे हैं उनके खिलाफ कोर्ट जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है और न ही मुझे कोई नोटिस मिला है। सुप्रीम कोर्ट में आदेश में कहा जो छिपी हुई शंका है उसे संतोषजनक रूप से दूर किया जाना चाहिए।