SC On Mining Companies: सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार और माइनिंग कंपनी को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज कर दी है जिसमें राज्यों को खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने के अधिकार को बरकरार रखने और 25 जुलाई के फैसले को आगामी प्रभाव से लागू करने की मांग की गई थी। इसके साथ ही, कोर्ट ने राज्यों को एक अप्रैल 2005 के बाद से रॉयल्टी वसूल करने की अनुमति दे दी है।
आज सुनवाई में क्या क्या हुआ
कोर्ट ने कहा है कि पिछले बकाये के भुगतान पर कुछ शर्तें होंगी। केंद्र और खनन कंपनियां खनिज संपन्न राज्यों को बकाये का भुगतान अगले 12 वर्षों में क्रमबद्ध तरीके से कर सकती हैं। हालांकि, कोर्ट ने राज्यों को बकाये के भुगतान पर किसी प्रकार का जुर्माना न लगाने का निर्देश दिया है। इसपर केंद्र ने कहा था कि राज्यों को 1989 से खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर लगाई गई रॉयल्टी वापस करने से नागरिकों पर असर पड़ेगा और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये निकालने पड़ेंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने टैक्स भुगतान की समय सीमा को 12 वर्षों तक बढ़ा दिया है, जो 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होगी। साथ ही, कोर्ट ने 25 जुलाई, 2024 से पहले की अवधि के लिए ब्याज और जुर्माना माफ करने का निर्देश दिया है।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस फैसले पर पीठ के आठ न्यायाधीश हस्ताक्षर करेंगे, जिन्होंने बहुमत से 25 जुलाई का फैसला दिया था। न्यायमूर्ति नागरत्ना बुधवार के फैसले पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी क्योंकि उन्होंने 25 जुलाई को अलग फैसला दिया था।
नौ सदस्यीय पीठ ने सुनाया है फैसला
नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है। पीठ में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भूइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे।