Advertisment

MP MBBS Counselling fees: MBBS काउंसलिंग में 10 लाख की प्रोसेसिंग फीस पर हाईकोर्ट सख्त, डीएमई से मांगा जवाब

MP MBBS Counselling fees; एमबीबीएस काउंसलिंग में 10 लाख की फीस वसूली को छात्रों ने चुनौती दी। हाईकोर्ट ने DME से जवाब मांगा। मामला छात्रों की शैक्षणिक स्वतंत्रता से जुड़ा है।

author-image
Shashank Kumar
MP MBBS Counselling fees

MP MBBS Counselling fees

हाइलाइट्स 

  • 10 लाख फीस पर उठा विवाद

  • छात्रों ने DME पर उठाए सवाल

  • हाईकोर्ट ने मांगा विभाग से जवाब

Advertisment

MP MBBS Counselling fees: मध्यप्रदेश में MBBS काउंसलिंग प्रक्रिया एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। हाईकोर्ट जबलपुर ने उन छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मेडिकल शिक्षा विभाग (DME) और संबंधित पक्षों से जवाब तलब किया है, जिन्होंने काउंसलिंग के दौरान वसूली गई 10 लाख रुपए की प्रोसेसिंग फीस को असंवैधानिक बताया है।

अमरावती निवासी तेजस रवीश अग्रवाल और अन्य छात्रों द्वारा दायर की गई इस याचिका में यह तर्क दिया गया कि इतनी भारी-भरकम फीस संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का सीधा उल्लंघन करती है, जो समानता का अधिकार और पूरे देश में घूमने व शिक्षा ग्रहण करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

काउंसलिंग फीस लौटाने से विभाग ने किया इंकार

छात्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट में दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने MBBS काउंसलिंग के पहले राउंड में भाग लिया था और नियमानुसार 10-10 लाख रुपए DME भोपाल के खाते में जमा किए थे। लेकिन जब उन्हें महाराष्ट्र में सीट मिल गई, तो उन्होंने समय रहते MP की सीट सरेंडर कर दी।

Advertisment

इसके बावजूद, DME ने उनकी जमा राशि लौटाने से साफ इंकार कर दिया। छात्रों का कहना है कि जब उन्होंने सीट अगली काउंसलिंग से पहले छोड़ दी और वह सीट किसी अन्य अभ्यर्थी को आवंटित हो गई, तो विभाग को सिर्फ न्यूनतम प्रोसेसिंग शुल्क काटकर शेष राशि वापस करनी चाहिए थी।

फीस की यह नीति छात्रों को राज्य सीमाओं में बांधती है: याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि यह फीस नीति छात्रों की शैक्षणिक स्वतंत्रता में बाधा डालती है। जब एक छात्र को किसी अन्य राज्य में प्रवेश मिलता है, तो वह अपनी इच्छानुसार विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र होता है। लेकिन अगर उसे भारी भरकम प्रोसेसिंग फीस के डर से MP की सीट छोड़ने से रोका जाए, तो यह साफ तौर पर एक शोषण की नीति बन जाती है।

अब DME को देना होगा जवाब

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए DME और अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह मामला अब केवल एक छात्र के हक की लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि यह देशभर के उन हजारों मेडिकल छात्रों से जुड़ा मुद्दा बन गया है जो हर साल काउंसलिंग की इस जटिल प्रक्रिया से गुजरते हैं।

Advertisment

ये भी पढ़ें:  MP NEWS: Narmadapuram में किसानों के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगने लगीं तहसीलदार, जानें पूरा माजरा.!

क्या यह फीस नीति बदलेगी? 

अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या अदालत इस फीस नीति को अनुचित करार देकर इसे बदलने का आदेश देगी या फिर छात्रों को अपने हक के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। यह मामला ना केवल शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे एक नीति छात्रों के भविष्य पर सीधा असर डाल सकती है।

ये भी पढ़ें: MP Cough Syrup: कोल्ड्रिफ सिरप से बीमार बच्चों की निगरानी करेंगे, नागपुर के अस्पतालों में चल रहा इलाज, अब तक 19 की मौत

Advertisment
MP MBBS Counselling fees MBBS counselling fees High Court decision DME Medical Education Department notice Madhya Pradesh MBBS admission processing fee dispute students' petition mbbs admission counselling fees high court mp news
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें