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नंदगांव के हुरियारों ने बरसाना की हुरियारिनों के साथ खेली Lathmar Holi, परंपराओं को किया जाता है जीवित

Lathmar Holi: राधारानी के गांव बरसाना में नंदगांव के हुरियारों और बरसाना की हुरियारिनों ने लठमार होली खेली और परंपराओं को जीवंत कर दिया।

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Kalpana Madhu
नंदगांव के हुरियारों ने बरसाना की हुरियारिनों के साथ खेली Lathmar Holi, परंपराओं को किया जाता है जीवित

 हाइलाइट्स

  • नंदगांव में खेली गई लट्ठमार होली
  • नंदबाबा के करते हैं दर्शन फिर खेलते हैं होली
  • राधा रानी का प्रतीक झंडा लेकर जाते हैं नंदगांव
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Lathmar Holi: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में राधारानी के गांव बरसाना में सोमवार को नंदगांव के हुरियारों और बरसाना की हुरियारिनों ने जमकर `लठमार होली खेली और परंपराओं को जीवंत कर दिया।

शाम को पांच बजे से दिन छिपने तक करीब एक घंटे चले इस होली युद्ध की समाप्ति तब हुई जब नंदगांव के हुरियार थक कर चूर हो गए और उन्होंने बरसाना की हुरियारिनों की जीत कबूल कर ली। तब हुरियारिनें अगले बरस फिर आने का न्यौता दे यह गाती हुई लौट चलीं कि ‘लला, फिर आइयो खेलन होरी। इसी के साथ वे राधा रानी को जीत की सूचना देने मंदिर की ओर बढ़ चलीं।

   द्वापर युग से चली आ रही परम्परा

ज़िलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि लाखों लोगों की मौजूदगी के बावजूद कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। स्‍थानीय नागरिकों के मुताबिक मथुरा जिले में राधारानी के गांव बरसाना में सोमवार को द्वापर युग का वह दृश्य पैदा हो गया, जो हजारों वर्ष पूर्व कृष्ण काल में कभी राधा और उनकी सखियों के साथ कन्हैया और उनके ग्वाल—बालों द्वारा होली खेलते समय देखने को मिला होगा।

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[caption id="attachment_313045" align="alignnone" width="419"]Lathmar Holi Lathmar Holi[/caption]

यह मौका था बरसाना में परंपरागत लठमार होली के आयोजन का। सोमवार की दोपहर बरसाना के गोस्वामी समाज के न्यौते पर नंदगांव के हुरियार धोती-कुर्ता पहने और सिर पर साफा बांधे, कमर में फेंटा कसे, हाथों में ढाल और पिचकारियां लिए पूरी तैयारी के साथ बरसाना की पीली पोखर पहुंचे जहां उनका मिष्ठान्न एवं भांग-ठण्डाई के साथ जोरदार स्वागत किया गया।

[caption id="attachment_313046" align="alignnone" width="419"]Ce,ebration of Lathmar Holi Celebration of Lathmar Holi[/caption]

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कुछ समय के विश्राम के पश्चात हुरियारों का यह काफिला ‘दरशन दै निकस अटा में ते दरशन दे, श्री राधे वृषभानु दुलारी’ पद गाते हुए बरसाना के लाडिलीजी (राधारानी) मंदिर पहुंचा, जहां उन्होंने राधा रानी को नमन कर उनसे होली खेलने की अनुमति मांगी।

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मंदिर में बरसाना और नंदगांव के हुरियारों ने मिलकर ‘गिरधर के अनुराग सौं रंग बरस रहौ बरसानौं जूं’ पद गाते हुए बरसाना के हुरियारों ने पिचकारियों से टेसू के फूलों से निर्मित रंग बरसाना शुरू कर दिया। जिससे नंदगांव के हुरियारे तर—बतर हो गए।

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मंदिर से होली खेलकर नन्दगांव के हुरियारे रंगीली गली पहुंचे तो वहां उनकी प्रतिक्षा में खड़ी बरसाने की हुरियारिनों ने प्यार भरी गालियां सुनाना प्रारंभ कर दिया। यहां हंसी—ठिठौली के बीच उड़ते रंगों पर प्रेम भरी लाठियां बरसीं।

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इन लाठियों से नंदगांव के हुरियारे अपनी ढालों की ओट में बचते हुए नजर आए। कुछ ढालों पर गोपियों की लाठियों के वार सहते हुए उछल कूद करते नजर आए। रंगीली गली, फुल गली, सुदामा मार्ग, राधाबाग मार्ग, थाना गली, मुख्य बाजार, बाग मोहल्ला में ढालों पर लाठियों से निकली तड़ातड़ की आवाजें गूंज रहीं थीं।

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कुल मिलाकर लट्ठमार होली में नारी सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल दिखाई दे रही थी। देश विदेश से आए विभिन्न टीवी चैनल एवं समाचार पत्रों के फोटोग्राफर ही नहीं, आम श्रद्धालु भी इस अनोखे नजारे को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करने के लिए बेचैन दिख रहे थे। मंगलवार को कुछ ऐसा ही नजारा नंदगांव में देखने को मिलेगा, लेकिन वहां नंदगांव के बजाए बरसाना के हुरियार होंगे, और हुरियारिनें नन्दगांव की होंगी।

   विदेशों से आते हैं श्रद्धालु

बरसाना की इस अनोखी लट्ठमार होली को देखने के लिए देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं। विदेशों ने यहां आने वाले श्रद्धालु राधा और कृष्ण की प्रेम स्वरुप होली को देखकर आनन्दित हो उठते हैं। यह आने वाले हर श्रद्धालु इस होली का जमकर लुत्फ उठाते हैं।

वहीं चालीस दिन तक चलने वाली इस होली में जब तक बरसाना की हुरियारिनें नंदगांव के हुरियारों पर लाठियों से होली नहीं खेलती, तब तक होली का आनंद नहीं आता। कहा जाता है कि इस होली को देखने के लिए स्वयं देवता भी आते हैं। इस होली में भक्त इतने उत्साहित और श्रद्धा से भरे हुए होते हैं कि सभी लोग इस होली में शामिल होकर खुद को धन्य महसूस करते हैं।

(Pc: Ritik kushwah)

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