Mansarovar Group of Institutions : मानसरोवर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस द्वारा आयुर्वेद के विद्यार्थियों के दस दिवसीय दीक्षारंभ के तीसरे दिवस का आरम्भ प्रयांश पाठक के नियमित संस्कृत व्याख्यान से हुआ। इसके बाद सभी आयुर्वेद महाविद्यालयों के प्राचार्य डॉ बाबुल ताम्रकार , डॉ अनुराग सिंह राजपूत एवं डॉ भरत चौरागड़े ने अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलन किया और उसके बाद अतिथि स्वागत किया।
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल के फिजियोथेरेपी विभाग के इंचार्ज डॉ असलम जमाली ने सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक रूप से “बेसिक लाइफ सपोर्ट एवं प्राथमिक उपचार ” पर छात्रों को वक्तव्य दिया। आज के दौर मे जिस तरह कार्डियक अरेस्ट हो रहें हैं, उसपर उन्होंने विस्तार से चर्चा की और उपस्थित शिक्षकों और छात्रों को ऐसे मौकों पर तुरंत दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार और सीपीआर तकनीक से अवगत कराया। छात्रों के लिए निश्चित ही यह एक रोचक और याद रखने योग्य सेशन रहा।
इसके बाद विश्व आयुर्वेद परिषद् के प्रख्यात वैद्य गोपाल दास मेहता ने छात्रों को हिन्दू नव वर्ष के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने आयुर्वेद से जुडी कई बातें जो हमें नित नया करने को प्रेरित करती हैं , बताई। उन्हें इस अवसर पर ब्रह्मलीन कमलकांत तिवारी स्मृति सम्मान दिया गया। इसके बाद अर्पण आयुर्वेद के संस्थापक डॉ आशीष पाल ने आर्युर्वेद पद्दति के बारे में कहा कि यह जीवंत शास्त्र है जिसे सीखने वाले छात्र स्वयं की दवाएं भी बना सकते हैं। तंत्र आयुर्वेद के बारे में और आयुर्वेद के तेज़ी से हो रहे वैश्वीकरण की भी चर्चा की।
डॉ सुचेता रे ने छात्रों को कम्युनिकेशन स्किल्स एवं आलोचनात्मक सोच की अहमियत के बारे में बताया एवं उनके विभिन्न बिंदुओं से परिचित कराया। सिआराम कॉलेज डीन ऐकडेमिक डॉ सचिन खेडीकर ने स्टूडेंट्स को बताया कि आज के दौर में आयुर्वेद के साथ साथ अन्य सभी विधाओं को समझना भी आवश्यक है, जिससे वे एक सही दायरा बनाकर उपचार की ओर बढ़ें। आने वाले बाकी दिनों में भी स्टूडेंट्स कई अहम् विषयों पर व्याख्यान का लाभ उठा सकेंगे। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर धन्यवाद ज्ञापित किया गया।