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पशुपतिनाथ के 6 मुखों पर बढ़ी जंग और दरारें: मंदिर के लिए करोड़ों रुपए का बजट, प्रतिमा के संरक्षण पर नहीं ध्यान

Mandsaur: मंदसौर में भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी मूर्ति में 6 मुखों पर जंग और दरारें बढ़ गई हैं। इसकी जानकारी सीएम मोहन को दी गई

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Ashi sharma
पशुपतिनाथ के 6 मुखों पर बढ़ी जंग और दरारें: मंदिर के लिए करोड़ों रुपए का बजट, प्रतिमा के संरक्षण पर नहीं ध्यान

Mandsaur: मंदसौर में भगवान पशुपतिनाथ की विश्व प्रसिद्ध और अष्टमुखी मूर्ति के पांचवें मुख से छठे मुख तक जंग और दरारें आ गई हैं। चिंता की बात यह है कि एक साल में यह स्थिति बनी हुई है।

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ऐसे में केमिकल एक्सपर्ट और बजट की भी जरूरत है। खास बात यह है कि भगवान पशुपतिनाथ के नाम पर बन रहे 'लोक' में पहले चरण में 25 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण चल रहा है और दूसरे चरण के लिए 25 करोड़ रुपये की डिमांड भी की गई है।

मंदिर के पास से गुजरने वाली शिवना नदी के शुद्धिकरण के लिए 29 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भी चल रहा है, लेकिन पिछले एक साल में प्रतिमा के चेहरे पर बढ़ते क्षरण और दरारों के प्रति किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।

20 नवंबर को पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में 64वां प्रतिष्ठा मोहोत्सव आयोजित होने जा रहा है। इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं, लेकिन अधिकारी प्रतिमा के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। 1200 साल पुरानी और 7 फीट ऊंची यह मूर्ति तांबे के रंग के आग्नेय पत्थर से बनी है।

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1200 साल पुरानी है मूर्ती

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पशुपतिनाथ की आठ मुख वाली मूर्ति 1200 वर्ष पुरानी मानी जाती है। इसकी ऊंचाई 7 फीट है। जानकारी के मुताबिक यह प्रतिमा चिकने, चमकदार और गहरे तांबे के रंग के आग्नेय पत्थर (Igneous rocks) से बनी है। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान मामला तत्कालीन विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया और कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के संज्ञान में भी आया था।

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खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इसका विवरण भेज रहे हैं। सुधार के लिए केमिकल विशेषज्ञों और बजट की आवश्यकता होगी। कलेक्टर को भी सूचित किया जाएगा।

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पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास क्या है?

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नेपाल के काठमांडू में भी भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर है, लेकिन वहां मौजूद मूर्ति चारमुखी है। मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव की आठ मुख वाली मूर्ति है। कहा जाता है कि साल 1940 में भगवान शिव की यह अनोखी प्रतिमा शिव नदी के गर्भ से निकली थी। शुरुआती वर्षों में, मूर्ति को नदी के किनारे रखा गया था। वर्ष 1961 में विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण कराया गया और वहां भगवान शिव की अष्टमुखी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गयी।

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की इस अष्टमुखी प्रतिमा का निर्माण विक्रम संवत 575 ईस्वी में सम्राट यशोधर्मन की हूणों पर विजय के बाद किया गया था। बाद में मूर्ति को मूर्तिभंजकों से बचाने के लिए शिव नदी में दबा दिया गया था।

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