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मंदसौर का चमत्कारी दुधाखेड़ी माताजी मंदिर: माता के दरबार में होते हैं अद्भुत चमत्कार, दर्शन से मनोकामना होती है पूरी

Dudhakedhi Mataji Temple Mandsaur: मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्थित दुधाखेड़ी माताजी मंदिर एक 13वीं शताब्दी का पंचमुखी मंदिर है, जो अपनी दिव्य उपचार शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी समृद्ध इतिहास और आध्यात्मिक महत्व है।

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Kushagra valuskar
मंदसौर का चमत्कारी दुधाखेड़ी माताजी मंदिर: माता के दरबार में होते हैं अद्भुत चमत्कार, दर्शन से मनोकामना होती है पूरी

दुधाखेड़ी माताजी मंदिर।

(रिपोर्ट- राहुल धनगर)

Dudhakedhi Mataji Temple Mandsaur: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित दुधाखेड़ी माताजी मंदिर न सिर्फ आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि इसे चमत्कारी शक्तियों के लिए भी जाना जाता है। लकवा और पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं और कई भक्त इसे चमत्कारी उपचार का स्थान मानते हैं।

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13वीं सदी से पूजित पंचमुखी माता

दुधाखेड़ी माताजी का यह मंदिर 13वीं सदी से पूजित है। यहां माता पंचमुखी रूप में विराजमान हैं और उनकी कृपा से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह मंदिर अपनी अखंड ज्योत और ऐतिहासिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है।

अपार धन-संपत्ति और भक्तों का योगदान

मंदिर मंदसौर जिले के सबसे सम्पन्न मंदिरों में से एक माना जाता है। श्रद्धालु यहां 3 क्विंटल 50 किलो चांदी और 2.5 किलो सोना दान कर चुके हैं। मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 10 करोड़ रुपए आंकी जाती है। यहाँ 2019 से नियमित भंडारे का आयोजन हो रहा है, जिससे दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को सेवा और सहयोग मिलता है।

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बलि प्रथा का अंत और बढ़ती आस्था

पहले इस मंदिर में बलि प्रथा प्रचलित थी, लेकिन 40 साल पहले गिरी एक रहस्यमयी बिजली के बाद इस प्रथा को बंद कर दिया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई और माता के चमत्कारों की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई।

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नवरात्रि में मिलता है माता के 9 रूपों का दर्शन

नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं। इन 9 दिनों में माता के हर दिन नए स्वरूप के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि माता की मूर्ति इतनी चमत्कारी है कि भक्त उनसे आंख नहीं मिला पाते।

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ऐतिहासिक धरोहर और राजघरानों की आस्था

मंदिर का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। कहा जाता है कि अंग्रेजों से हारती होल्कर सेना ने जब माता के दरबार में मन्नत मांगी, तो माता ने स्वयं तलवार भेंट की, जिसके बाद सेना ने अंग्रेजों को पराजित कर दिया। इसी तरह झालावाड़ के राजा जालिम सिंह, ग्वालियर के सिंधिया शासक और कई अन्य राजवंशों की इस मंदिर में गहरी आस्था रही है।

मंदिर से जुड़े लोककथाएं और मान्यताएं

कहते हैं कि एक लकड़हारा जंगल में पेड़ काट रहा था, तभी पेड़ से दूध की धारा बहने लगी और माँ भगवती प्रकट हुईं। तभी से इस स्थान को 'दुधाखेड़ी माताजी' के नाम से जाना जाने लगा।

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धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र

दुधाखेड़ी माताजी मंदिर धार्मिक पर्यटन के लिए मालवा अंचल का अनोखा स्थल है। यहां नवरात्रि के दौरान भक्तजन कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर माता के दर्शन के लिए आते हैं।

कैसे पहुंचे?

मंदिर भानपुरा से 12 किमी और गरोठ से 16 किमी की दूरी पर स्थित है।

नजदीकी रेलवे स्टेशन मंदसौर है और यहां से सड़क मार्ग से मंदिर पहुंचा जा सकता है।

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