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बुरहानपुर / गणेश दुनगे : मुगलकाल के जमाने के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा, मुगलकाल में जमाने की कई धरोहरे आज भी देश में बनी हुई है, लेकिन क्या आपको पता है कि मुगलकाल में बनाई जाने वाली रोटियां आज भी बनाई जाती है। जी हां यह रोटियां कही और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में बनाई जाती है जो बुरहानपुर की पहचान बन चुकी है। मुगलकाल में बनाई जाने वाली रोटिंयों को मांडा रोटियां कहा जाता है। यह रोटियां बुरहानपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश की पहचान बन चुकी है।
बता दे की मांडा रोटी के स्थानीय लोग तो शौकिन हैं ही बल्कि यहां आने वाले देश-विदेश के पर्यटक भी इस रोटी को देख कर हैरान हो जाते हैं, अपने इसे खाने से रोक नहीं पाते और इसे खाकर जायके का जमकर लुत्फ उठाते हैं। बुरहानपुर में बनाई जाने वाली मांडा रोटियों की शुरूआत शुरुआत मुगलकाल से शुरू हुई थी। मांडा रोटी बनाने वाले शहर के 100 से अधिक परिवार जुड़े है। इन परिवारों के करीब 700 सदस्य दावतों में मांडा रोटी बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं।
बताया जाता है कि सन् 1601 में मुगलिया दौर में मुगल शासकों ने बुरहानपुर में फौजी छावनी बनाई थी। इस दौरान भारत के हर कोने से मुगलिया सैनिक बुरहानपुर फौजी छावनी में आया करते थे। ऐसे में कम समय में अधिक मात्रा में भोजन तैयार करना एक बड़ी चुनौती होती थी। इस समस्या से निजात पाने और दरबारियों को बेहतरीन भोजन देने के लिए स्थानीय बावर्चियों ने बड़े आकार की रोटी यानी मांडा बनाने का सुझाव दिया था। तभी से मांडा रोटियों को बनाने की शुरूआत हुई जो आजतक चली आ रही है।
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