MP NEWS: मध्य प्रदेश के इंदौर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बता दें कि 26 वर्षीय व्यक्ति COVID-19 महामारी के दौरान नकली नोट छापने और उन्हें बाजार में चलाने का पाया गया है। इंदौर जिला कोर्ट ने शख्स को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
महामारी के दौरान नौकरी चली गई थी
जानकारी के मुताबिक, राजरतन तायडे की महामारी के दौरान नौकरी चली गई थी। उसके बाद उसे यू-ट्यूब पर नकली नोट बनाने का एक वीडियो मिला। जहां से उसने इस काम के लिए जरूरी समान खरीदे और 20 दिनों तक लगातार नोट छापने का अभ्यास किया। आखिर में उसे हुबहू असली की तरह दिखने वाले नोट बना लिए। वह 100, 500 और 2000 रूपये के नकली नोट बनाकर छोटे दुकानदारों के पास चला दिया करता था।
9 जून, 2021 को इंदौर क्राइम ब्रांच की टीम को गोपनीय सूत्रों से सूचना मिली की राजरतन तायडे नाम का व्यक्ति नकली नोटों की खेप सौंपने के लिए भंडारी पुल के पास एक ग्राहक की इंतजार कर रहा है। क्राइम ब्रांच की टीम और आजाद नगर पुलिस ने घेरा बंदी कर उसे पकड़ लिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी तायडे के पास से एक बैग मिला जिसमें 2.53 लाख रुपये मूल्य के 100 रुपये के नोट थे।
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कोर्ट ने सुनाई सश्रम कारावास की सजा
इंदौर जिला कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जयदीप सिंह ने शनिवार को राजरतन तायडे को 7 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्च ने 3 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट द्वारा सजा सुनाई जाने के बाद दोषी को केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
रंगदारी मामले में भी आरोपी
बता दें कि राजरतन तायडे इंदौर के खुडेल और कनाड़िया थाने में भी दर्ज दो अन्य मामलों में आरोपी है। एक अपराध में राजरतन ने पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को उनके मोबाइल फोन पर संदेश भेजकर उनसे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का प्रयास किया था, जबकि दूसरे मामले में नर्मदा के एक अधिकारी को कथित तौर पर धमकी देकर 25 लाख रुपये की मांग की थी।
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