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Mamta Kulkarni:ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटाया, किन्नर अखाड़ा परिषद की कार्रवाई, लक्ष्मी त्रिपाठी भी निष्कासित

Mamta Kulkarni: किन्नर अखाड़ा में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब उन्हें महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया है।

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Bansal news
Mamta Kulkarni:ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटाया, किन्नर अखाड़ा परिषद की कार्रवाई, लक्ष्मी त्रिपाठी भी निष्कासित

Mamta Kulkarni: किन्नर अखाड़ा में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब उन्हें महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया है। अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर कार्रवाई की है।

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उनके साथ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया है। दोनों को अखाड़े से भी निष्कासित कर दिया गया है। ये कार्रवाई किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने की है। बता दें कि अजय दास ने शुक्रवार को ऐलान किया था कि अब नए सिरे से किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन किया जाएगा। साथ ही जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान होगा।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही ममता कुलकर्णी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ 2025 में अपना पिंडदान किया था और संन्यास अपना लिया था। इसके बाद भव्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था। इसके बाद भव्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था। उनका नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया था। वो 7 दिनों तक महाकुंभ में रहीं थीं। इसके बाद से ही इसको लेकर विवाद जारी था। 

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ममता को क्यों पद से हटाया गया

दरअसल, इस फैसले के पीछे की वजह ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से चल रहा विवाद है। कई लोगों ने सवाल उठाया था कि एक स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है। बता दें कि किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने यह फैसला लिया है और घोषणा की है कि अब नए सिरे से किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन होगा। 

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के खिलाफ ये आरोप

किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने मीडिया को जारी पत्र में लिखा है की पिछले उज्जैन महाकुंभ (2016)  में मेरे द्वारा नियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को मैं आचार्य महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा के पद से मुक्त करता हूं। शीघ्र इन्हें इस फैसले की लिखित सूचना दे दी जाएगी।

जिस धर्म प्रचार- प्रसार एवं धार्मिक कर्मकांड के साथ किन्नर समाज के उत्थान आदि की आवश्यकता से उनकी नियुक्ति की गई थी। लेकिन वे उक्त पद की जिम्मेदारी से भटक गए हैं। इन्होंने मेरी बिना सहमति के जूना अखाड़े के साथ एक लिखित अनुबंध 2019 में प्रयागराज कुंभ के लिए किया। 

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किन्नर अखाड़े का जूना अखाड़े के साथ अनुबंध अवैधानिक

यह अनैतिक ही नहीं बल्कि एक प्रकार की धोखाधड़ी है। बिना संस्थापक की सहमति एवं हस्ताक्षर के जूना अखाड़ा एवं किन्नर अखाड़ा के बीच का अनुबंध विधि अनुकूल नहीं है। अनुबंध में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़ा शब्द संबोधित किया है, इसका अर्थ यह है कि किन्नर अखाड़ा अर्थात 14 वां अखाड़ा उन्हें स्वीकार है। इसका अर्थ है कि सनातन धर्म में 13 नहीं बल्कि 14 अखाड़े मान्य है.यह बात अनुबंध से स्वयं सिद्ध है।

लक्ष्मी को हटाने का सवाल ही नहीं होता 

इस विवाद के बीच किन्नर अखाड़े का एक गुट लक्ष्मी और ममता के सपोर्ट में सामने आ गया है। इस संबध में  किन्नर अखाड़े से मां पवित्रा नन्द गिरी ने कहा है हम किसी को भाव नहीं देना चाहते हैं। हर आदमी को अपने आप से ही बड़ा बनना चाहिए। दूसरों पर कीचड़ फेंककर कोई बड़ा न बने। यह अखाड़ा किसी की एक का नहीं है। 

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ममता कुलकर्णी को सीधे महामंडलेश्वर बनाना गलत

ऋषि अजय दास ने अपने पत्र में लिखा है कि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने असंवैधानिक ही नहीं अपितु सनातन धर्म और देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसी फिल्मी ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी महिला को बिना किसी धार्मिक एवं अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि एवं पट्टाभिषेक कर दिया। इस कारण से मुझे आज बेमन से मजबूर होकर देश हित, सनातन एवं समाज हित में इन्हें पदमुक्त करना पड़ रहा है।

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मुंडन संस्कार के बिना नहीं होता सन्यास

ऋषि अजय दास ने मीडिया को जारी बयान में यह भी लिखा है कि किन्नर अखाड़े के नाम से जूना अखाड़े के साथ वैधानिक अनुबंध कर किन्नर अखाड़े के सभी प्रतीक कॉन को भी शत विकसित किया गया है। यह लोग ना तो जूना अखाड़े के सिद्धांतों के अनुरूप चल रहे हैं और ना ही किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं।

उदाहरण के लिए किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही वैजयंती माला गले में धारण कराई गई थी जो की श्रृंगार का प्रतीक है। लेकिन इन्होंने वैजयंती माला का त्याग कर रुद्राक्ष की माला धारण की जो कि संन्यास का प्रतीक है। सन्यास बिना मुंडन संस्कार के मान्य नहीं होता है। इस प्रकार यह सब मिलकर सनातन धर्म प्रेमी व समाज के साथ एक प्रकार का छलावा कर रहे हैं।

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ममता ने किन्नर अखांड़ा ही क्यों चुना

ममता ने किन्नर अखाड़ा चुनने पर कहा था कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनकी 23 साल की तपस्या को जाना समझा था। उनकी कई बार परीक्षा भी ली गई थी, जिसमें वो उत्तीर्ण हो गई, परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाने के बाद महामंडलेश्वर बनने का न्यौता मिला था। उन्होंने ये भी कहा था कि वो बॉलीवुड में वापस नहीं जाएंगी। अब वो सनातन धर्म का प्रचार करेंगी।

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