पुरी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 12वीं सदी के मंदिर के दर्शन के तय कार्यक्रम के तुरंत बाद एक विशेष अनुष्ठान के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर बुधवार को श्रद्धालुओं के लिए चार घंटे के लिए बंद रहेगा। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, उनके मंदिर जाने के दौरान मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा।
भगवान जगन्नाथ की भक्त ममता यहां शाम चार बजे पूजा-अर्चना करने पहुंचेंगी। उनके मंदिर में करीब एक घंटे तक रुकने की संभावना है। भगवान विष्णु का यह मंदिर हिंदुओं के चार प्रमुख धाम में से एक है। भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ‘बाण बंध’ (मंदिर के ऊपर झंडा बांधना) अनुष्ठान देखेंगी। ममता ने पिछली बार मंदिर की अपनी यात्रा के दौरान भी यह अनुष्ठान देखा था। सिंह द्वार पर मंदिर प्रशासन के लोग उनकी अगवानी करेंगे। एक कर्मचारी ने कहा, ‘‘ वीवीआईपी श्रद्धालु की यात्रा के दौरान अन्य श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रखने की कोई योजना नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि मंदिर के भीतर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
अधिकारी ने बताया कि ममता बनर्जी के दर्शन के बाद ‘श्रीमुख श्रृंगार’ के लिए मंदिर को चार घंटे के लिए बंद रखा जाएगा। इस दौरान मुर्तियों को साफ किया जाएगा और उन पर जैविक रंगों का लेप लगाया जाएगा। मंदिर के ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ के अनुसार, यह विशेष अनुष्ठान चैत्र के महीने में ‘प्रतिपदा तिथि’ पर किया जाता है। दत्ता महापात्र के सेवादार शाम पांच बजे से नौ बजे के बीच यह अनुष्ठान करेंगे, जिसके दौरान सार्वजनिक दर्शन बंद रहेगा क्योंकि इसे एक गुप्त गतिविधि माना जाता है। बनर्जी के कोलकाता लौटने से पहले उनके ओडिशा के अपने समकक्ष नवीन पटनायक से मुलाकात करने की भी संभावना है। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी एक ताकतवार नेता के रूप में सामने आई हैं।
दोनों मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोधी माने जाते हैं। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दोनों मुख्यमंत्री चुनावी रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं। हालांकि, ममता बनर्जी 2024 के चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे के गठन के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुई थीं। अखिलेश यादव और बनर्जी की मुलाकात के बाद तृणमूल और सपा ने कहा था कि वे भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखेंगे और चुनाव से पहले क्षेत्रीय दलों तक पहुंच स्थापित करेंगे।