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Malmaas 2023: इस दिन से शुरू हो रहे हैं मलमास, क्या करें क्या नहीं

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Preeti Dwivedi
Malmaas 2023: इस दिन से शुरू हो रहे हैं मलमास, क्या करें क्या नहीं

नई दिल्ली। Adhikmaas-Malmaas-2023: सावन की शुरुआत हो चुकी है। अब जल्द ही अधिकमास की शुरुआत होने वाली है। जिसमें दो सावन आएंगे। पहला सावन तो शुरू हो गया है लेकिन अब 4 दिन बाद अधिकमास शुरू होने वाला  है, आपको बता दें अधिकमास को मलमास भी कहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इन अधिकमाह की गणना कैसे की जाती है। साथ ही अधिकमास को पुरुषोत्तम माह क्यों कहते हैं। यदि नहीं तो चलिए जानते हैं, की अधिकमास कब से कब तक होंगे।

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इस साल सावन होगा अधिकमास Adhikmass 

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार अधिकमास अधिकमास की गणना सूर्य की चाल (Sury ki charl) के आधार पर की जाती है। ये अधिकमास (adhikmas) हर तीन साल में आते हैं। इस साल अधिकमास की शुरूआत 18 जुलाई से शुरू हो रही है। जिसकी समाप्ति 16 अगस्त को होगी। अधिकमास में 15 दिन एक महीने और 15 दिन दूसरे महीने के जोड़े जाते हैं।  इसी अधिमास में चातुर्मास भी आते हैं।

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ऐसे होती है अधिमास की गणना Adhimass ki Gadna 

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार इस साल अधिमास भी है। अधिमास को ​अधिकमास और पुरुषोत्तम मास (Pursottammas) भी कहा जाता है। पुरुषोत्तम मास में केवल धार्मिक कार्य किए जाते हैं। हिन्दू धर्म में अधिमास की गणना सूर्य के आधार की जाती है।

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अधिकमास को क्यों कहते हैं पुरुषोत्तम माह

ज्योतिषाचार्य के अनुसार पुरुषोत्तम माह को दूषित माह (Dooshit Mass) भी कहते हैं। इस महीने में कोई संक्रांति नहीं होती। एक बार भगवान ने महीने से कहा था कि इस महीने में कोई भी विवाह कार्य आदि नहीं होंगे। इसमें केवल धार्मिक अनुष्ठान होंगे। पूजा-पाठ होंगे। साथ ही भगवान पुरुषोत्तम ने महीने को अपना नाम दिया था। इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम माह कहा जाता है। अधिकमास हर तीन साल में आता है। इसमें पहला सावन 17 अगस्त से शुरू हो रहा है। तो वहीं 2 अगस्त से दूसरा सावन शुरू हो जाएगा।

मलमास में ये क्या करने से मिलेगा पुण्य

मलमास को ही अधिकमास भी कहा जाता है।  यह माह पूजा अर्चना के लिए बहुत ही शुभदायक और फलदायी होता है।  इस समय में भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन के सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं।  इस मास में दान पुण्य और धर्म-कर्म के काम जैसे राम कथा, श्रीमदभागवत, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ गीता कथा को श्रवण करना बहुत ही शुभ होता है। इसे भगवान प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

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