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हाइलाइट्स
- मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA कोर्ट के फैसले को चुनौती।
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने NIA कोर्ट के फैसले को बताया गलत।
- साध्वी प्रज्ञा सिंह समेत सातों आरोपियों को नोटिस जारी।
Malegaon Blast Case Bombay High Court Notice: महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके के हाई-प्रोफाइल केस में 17 साल बाद एक बार फिर हलचल मच गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने NIA की विशेष अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया था। अब कोर्ट ने भोपाल से पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत सातों को नोटिस भेजकर केस में फिर से सुनवाई की घोषणा की है। साथ ही NIA और महाराष्ट्र सरकार से भी जवाब मांगा है। कोर्ट ने जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने मामले में फिर से सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद की तारीख तय की है।
31 जुलाई को NIA कोर्ट ने सुनाया था फैसला
दरअसल, मुंबई की एक विशेष एनआईए कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाका केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया था, अदालत ने कहा कि ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता है।
न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने कहा कि अदालत में यह प्रमाणित नहीं हो सका कि ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई बाइक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाम थी। इसके अलावा यह भी साबित नहीं हुआ कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बम तैयार किया था। कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था।
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मालेगांव ब्लास्ट केस में नया मोड़
2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके में सात लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। इस केस में NIA की विशेष अदालत ने हाल ही में सातों आरोपियों को बरी कर दिया था। लेकिन अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इस केस में हाईकोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर गौर किया है।
NIA और महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब
दरअसल, मालेगांव बम ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट में NIA की स्पेशल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित समेत सात आरोपियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि फैसले में कई खामियां हैं, जिन पर पुनर्विचार आवश्यक है। कोर्ट ने NIA और महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा है।
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NIA कोर्ट के फैसले पर सवाल
31 जुलाई को NIA कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने माना था कि:
- धमाके में बाइक में बम लगाने का पुख्ता सबूत नहीं मिला।
- अभिनव भारत के पैसों से आतंकी गतिविधियों का लिंक नहीं।
- एफएसएल रिपोर्ट में विस्फोट से जुड़े ठोस सबूतों की पुष्टि नहीं हुई।
- प्रमुख गवाह अपने बयान से पलट गए।
- ATS और NIA की जांच रिपोर्टों में विरोधाभास था।
पीड़ितों की अपील और हाईकोर्ट की सुनवाई
पीड़ित परिवारों की ओर से अधिवक्ता शाहिद नवीन अंसारी ने NIA कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि दोषपूर्ण जांच और कमजोर अभियोजन के कारण आरोपियों को गलत तरीके से बरी किया गया। अब हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने इस पर सुनवाई शुरू की है। हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की है। यह केस अब एक बार फिर देशभर में चर्चाओं का विषय बन गया है।
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