नई दिल्ली। Mahashivratri 2023 : पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व कल यानि 18 फरवरी को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। हालांकि कई पंचांगों में मतभेद होने के कारण इसकी तारीखों में अंसमस्य की स्थिति बनी हुई है। लेकिन आपको बता दें ज्योतिषाचार्यों की मानें तो महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को ही मनाया जाएगा। आखिर इसके पीछे कारण क्या है और इस दिन की पूजा विधि, मुहूर्त और मंत्र क्या हैं। चलिए जानते हैं विस्तार से।
इसलिए 18 फरवरी को मनेगी शिवरात्रि —
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार प्रदोष तिथि 18 फरवरी को दोपहर को आएगी जो 19 फरवरी को दोपहर तक चलेगी। चूंकि महाशिवरात्रि में भगवान शिव की चार पहर की पूजा और हवन करने का विधान है इसलिए ये त्योहार 18 फरवरी को ही मनाया जाएगा।
ये है शिव जी के मंत्र —
महामृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra)-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव गायत्री मंत्र (shiv gayatri mantra) —
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
शिव तारक मंत्र (shiv tarak mantra)-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
शिव जी का शक्तिशाली मंत्र (shiv mantra)—
नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:
पूजा से पूर्व शिवजी को प्रसन्न करने का मंत्र —
नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष का संयोग mahashivratri-2023
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। ये दिन होने से महाशिवरात्रि का महत्व और अधिक बढ़ गया है। आपको बता दें शास्त्रों में ऐसे कुछ कार्य बताए गए हैं जिन्हें इस दिन करना वर्जित माना गया है। अगर आप ऐसे करते हैं तो भोलेनाथ आपसे नाराज हो सकते हैं। चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से काम हैं जिन्हें भूलकर भी नही करना चाहिए।
ये होगा पूजन का समय —
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2023 Shubh Muhurat)
प्रथम पहर पूजा समय: 18 फरवरी
शाम 06:41 मिनट से रात 09:47 मिनट तक
द्वितीय पहर पूजा समय : mahashivratri-2023 puja time
रात 09:47 मिनट से रात 12:53 मिनट तक
तृतीय पहर पूजा समय: 19 फरवरी
रात 12:53 मिनट से 03:58 मिनट
चतुर्थ पहर पूजा समय : 19 फरवरी
03:58 मिनट से सुबह 07:06 मिनट तक
इन गलतियों को करने से बचें — mahashivratri-2023 remedies
- महाशिवरात्रि पर आपको ध्यान रखना है कि भोलेनाथ के पूजन में केतकी और चंपा के फूल का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव द्वारा ये फूल श्रापित हैं। ऐसे में आपको भी इन फूलों के उपयोग से बचना है।
- किसी भी पूजा में अक्षत यानि चावल का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आपको भी ध्यान रखना है कि इसमें भूलकर भी टूटे अक्षत न चढ़ाएं। वो इसलिए क्योंकि टूटा चावल अपूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि टूटे हुए अक्षत चढ़ाने से बचें।
- टूटे बेल चढ़ाने से बचें। कोशिश करें कि जब भी बेल पत्र चढ़ाएं तो इस पर चंदन से राम लिखा हो।
- महाशिवरात्रि पर जो लोग चारों पहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें पहले प्रहर में जल से अभिषेक, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करने का विधान है। ऐसा करने से आपको यश और वैभव की प्राप्ति होती है।
- भगवान शिव को बेर चढ़ाने का भी विशेष महत्व होता है। वो इसलिए क्योंकि बेर को चिरकाल के रूप में देखा जाता है। इसलिए इस रूप में शिवजी का प्रतीक मानते हैं।
- भगवान शिव के पूजन में रोली का पूजन नहीं करना चाहिए। इसकी जगह चंदन का उपयोग किया जाता है। वो इसलिए क्योंकि भगवान शिव के रुद्र रूप को शांत करने के लिए उनके माथे पर चंदन लगाया जाता है। चूंकि चंदन की प्रकृति ठंडी होती है। इसलिए इसका उपयोग भगवान शिव के पूजन में किया जाता है।
- काला रंग अशुभता का प्रतीक माना जाता है। पूजन में ये रंग वर्जित माना गया है। इसलिए कोशिश करें कि महाशिवरात्रि पर पूजन में लाल, सफेद या गुलाबी रंग का उपयोग किया जाए।
- इस बात का ध्यान रखें कि भगवान शिव को चढ़ाए प्रसाद को भूलकर भी ग्रहण न करना। ऐसा करना आपके जीवन दुर्भागय, हानि और बीमारियां ला सकता है।
Mahashivratri 2023 Mantra : भगवान शिव के पांच ताकतवर मंत्र, हर कष्ट से दिलाएंगे मुक्ति
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।