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महासमुंद लोकसभा सीट: 1952 से रहा कांग्रेस का राज, पिछले 3 चुनावों से BJP काबिज, अपने पुराने किले को भेद पाएगी कांग्रेस?

महासमुंद लोकसभा सीट: छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों (Lok Sabha Election 2024) के लिए तीन चरणों में चुनाव होने हैं.

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Harsh Verma
महासमुंद लोकसभा सीट: 1952 से रहा कांग्रेस का राज, पिछले 3 चुनावों से BJP काबिज, अपने पुराने किले को भेद पाएगी कांग्रेस?

   हाइलाइट्स

  • महासमुंद में 26 अप्रैल को होगा मतदान
  • ताम्रध्वज साहू और रूप कुमारी चौधरी में टक्कर
  • इस सीट पर कांटे की देखने को मिलेगी टक्कर 
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महासमुंद लोकसभा सीट: छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों (Lok Sabha Election 2024) के लिए तीन चरणों में चुनाव होने हैं. जिसमें महासमुंद लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में यानी कि 26 अप्रैल को वोटिंग होगी. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में टक्कर देखने को मिल रहा है.

महासमुंद लोकसभा सीट पर बीजेपी ने ओबीसी वर्ग की महिला रूप कुमारी चौधरी (BJP Candidate Roop Kumari Chaudhary) को टिकट दिया है. तो वहीं कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के दिग्गज नेता और पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू (Congress Candidate Tamradhwaj Sahu) को अपना प्रत्याशी बनाया है.

[caption id="" align="alignnone" width="691"]छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू बोले- राज्य में नहीं लागू होगा NPR - छत्तीसगढ़ न्यूज़ महासमुंद से कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू[/caption]

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यह सीट ओबीसी बाहुल्य है. ऐसे में दोनों प्रत्याशियों के ओबीसी वर्ग से आने के चलते सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

   महासमुंद लोकसभा में 8 विधानसभा क्षेत्र

[caption id="" align="alignnone" width="693"]कांग्रेस की खुद अपनी कोई गारंटी नहीं, देश में एक ही गारंटी और वो है मोदी जी की - रूपकुमारी चौधरी बीजेपी प्रत्याशी रूप कुमारी चौधरी[/caption]

महासमुंद लोकसभा (Lok Sabha Election 2024)  क्षेत्र 3 जिलों से मिलकर बना है. जिसमें गरियाबंद, धमतरी और महासमुंद शामिल है. महासमुंद लोकसभा में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

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जिसमें से चार विधानसभा क्षेत्र खल्लारी, धमतरी, सरायपाली और बिन्द्रानवागढ़ पर कांग्रेस के विधायक हैं. तो वहीं चार विधानसभा क्षेत्र बसना, महासमुंद, राजिम और कुरूद पर बीजेपी के विधायक है.इन 3 जिलों में कुल 17 लाख 90 हजार मतदाता हैं. जिसमें 8 लाख 60 हजार पुरुष वोटर्स और 8 लाख 90 हजार महिला वोटर्स शामिल हैं.

   हाई प्रोफाइल सीट रही है महासमुंद लोकसभा सीट

[caption id="" align="alignnone" width="624"]publive-image कांग्रेस के दिवंगत दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल[/caption]

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छत्तीसगढ़ में महासमुंद लोकसभा सीट (Mahasamund Lok Sabha Seat) हाई प्रोफाइल सीट रही है. यहां से कई दिग्गजों ने चुनाव लड़ा है. महासमुंद लोकसभा सीट पर साल 1952 से अब तक टोटल 19 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें से 12 बार यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल यहां (Mahasamund Lok Sabha Seat)  से सात बार चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री रहे हैं. इसके साथ ही अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल भी एक बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं.

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तो और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट से जीत हासिल किए थे. हालांकि अजीत जोगी के बाद साल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा किया है.

   2019 और 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे

[caption id="" align="alignnone" width="644"]चुन्नीलाल साहू: चर्चित सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता को चुनौती – News18 हिंदी भाजपा सांसद चुन्नी लाल साहू[/caption]

2019 के लोकसभा चुनाव (Mahasamund Lok Sabha Seat) में भाजपा के चुन्नी लाल साहू ने कांग्रेस के धनेन्द्र साहू को 90 हजार 511 हजार मतों से हराया था. दोनों प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी.

हालांकि आखिर में कांग्रेस के धनेन्द्र साहू चुनाव हार गए थे. चुन्नी लाल को 6 लाख 16 हजार 580 वोट मिले थे, वहीं धनेन्द्र साहू को 5 लाख 26 हजार 69 लाख वोट मिले थे. निर्दलीय विधायक देवेंद्र सिंह ठाकुर तीसरे नंबर पर रहे थे.

जिन्हें सिर्फ 15 हजार 491 वोट मिले. तो वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजके चंदूलाल साहू ने कांग्रेस के अजीत जोगी को 1 हजार 217 वोट के मामूली अंतर से हरा दिया था. चंदूलाल साहू को 5 लाख 3 हजार 514 वोट मिले थे, तो अजीत जोगी को 5 लाख 2 हजार 297 लाख वोट मिले थे.

   महासमुंद लोकसभा सीट का जातीगत समीकरण

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र (Mahasamund Lok Sabha Seat) के जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर 51 फीसद वोटर्स ओबीसी के हैं.

इनमें साहू, कुर्मी, यादव, अघरिया, और कोलता समाज की बहुलता है. वहीं अनुसूचित जनजाति के मतदाता करीब 20 फीसद हैं. तो अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 11 फीसद हैं. साथ ही अनारक्षित वर्ग के करीब 12 फीसद मतदाता हैं.

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आंकड़ें देखने से साफ पता चलता है कि महासमुंद लोकसभा सीट अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल क्षेत्र है. यहां का फैसला भी इसी वर्ग के हाथ में है. 

महासमुंद लोकसभा सीट (Mahasamund Lok Sabha Seat) कभी कांग्रेसियों का गढ़ था, लेकिन पिछले तीन बार से बीजेपी इस पर काबिज है.

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के चुनाव मे ओबीसी वर्ग की महिला पर विश्वास जताया है. महासमुंद लोकसभा क्षेत्र  (Lok Sabha Election 2024)  में साहू समाज की बहुलता है. इसलिए यहां से बीजेपी अब तक साहू प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारती रही.

लेकिन भाजपा ने इस चुनाव में किसी साहू प्रत्याशी को टिकट ना देकर OBC वर्ग की महिला पर विश्वास जताया है. बीजेपी की पहली महिला प्रत्याशी के रूप मे रूपकुमारी चौधरी (BJP Candidate Roop Kumari Chaudhary) को टिकट दिया है. तो इधर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू (Congress Candidate Tamradhwaj Sahu) को चुनावी रणभूमि में उतारा है.

   क्षेत्र में पुरुषों से अधिक महिला मतदाता

[caption id="" align="alignnone" width="690"]बिहार चुनाव: महिला मतदाता दूसरों के प्रभाव में आकर वोट देती हैं? - BBC News हिंदी पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता अधिक[/caption]

इस बार महासमुंद लोकसभा क्षेत्र (Mahasamund Lok Sabha Seat) में कुल मतदाता 17,59,181 हैं. जिनमें 8,65,125 पुरुष और 8,94,023 महिला मतदाता हैं. तो वहीं, 33 तृतीय लिंग मतदाता हैं.

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha Election 2024) में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता 28,898 अधिक हैं. अब तक देखने में आता रहा है कि वोट करने में शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में अधिक उत्साहित महिलाएं ही रहती हैं.

महिलाएं लंबी-लंबी  कतार में घंटों लगकर वोट डालने पहुंचती हैं। वहीं महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की कतार कम ही रही है. बीजेपी ने इस बाद महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. ऐसे में देखना होगा कि रूप कुमारी चौधरी को महिलाओं का साथ कितना मिलता है.

   महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे

महासमुंद के विकास में रोड़ा बनी रही ये समस्याएं, लोगों में भी काफी आक्रोश – News18 हिंदी

महासमुंद (Mahasamund Lok Sabha Seat) में महिलाओं की संख्या अधिक होने के बावजूद महिला थाना नहीं है. जिससे महिलाओं को काफी हद तक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से किसानों को दिक्कत होती है. यहां के अधिकतर युवक बेरोजगार हैं. बड़े उद्योग नहीं होने से रोजगार नहीं है.

मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का आभाव है. बड़े मामले रायपुर रेफर कर दिया जाता है. महासमुंद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ा हुआ है. बड़े इंस्टिट्यूट में शिक्षा लेने के लिए बच्चे ज्यादातर बाहरी बड़े नगरों का रुख करते हैं.

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