Maharashtra CM: महाराष्ट्र में बीजेपी के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। शिवसेना के मुखिया और राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के आगे सरेंडर करते हुए कुर्सी छोड़ने का संकेत दिया है।
उन्होंने बुधवार, 27 नवंबर को ठाणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में हमारी तरफ से कोई अड़चन नहीं है। हमें राज्य में बीजेपी का मुख्यमंत्री मंजूर है। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री के बारे में जो भी फैसला लेंगे वह हमें मंजूर होगा।
शिंदे ने आगे कहा, “आज हमारे राज्य में महायुति को जो जीत हासिल हुई, उसके लिए मैं सभी मतदाताओं को धन्यवाद करता हूं। यह अभूतपूर्व जीत है…मैंने कभी खुद को मुख्यमंत्री नहीं माना। मेरे लिए सीएम (Maharashtra CM) का मतलब कॉमन मैन होता है। मैंने कार्यकर्ता के रूप में काम किया है… हमने आम जनता के जीवन में बदलाव लाने की कोशिश की… अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है…”
हमारे बीच नहीं है कोई मतभेद: शिंदे
शिंदे ने कहा कि मैंने मोदी जी को फोन किया था, हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। हम सब NDA का ही हिस्सा हैं। भाजपा की बैठक में जो फैसला लिया जाएगा, हमें मंजूर होगा। कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है। हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं बनेंगे। अगर राज्य को आगे लेकर जाना है तो केंद्र सरकार का साथ बहुत जरूरी है। मोदीजी, शाहजी ने हमारा बहुत सपोर्ट किया।
महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा, “लोगों को लगता है कि हमारे बीच का मुख्ममंत्री है। घर हो, मंत्रालय हो, लोग आकर मिलते हैं। मैं हर व्यक्ति से मिलता हूं। मेरी जो पहचान मिली है, वो आपकी वजह से है। मैंने लोकप्रियता के लिए काम नहीं किया, महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया। इस दौरान ढाई साल तक केंद्र सरकार साथ खड़ी रही।”
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मैं लाडली बहनों का लाडला भाई हूँ: एकनाथ शिंदे
शिवसेना मुखिया ने कहा, “चुनाव हुए और हमारे काम की बदौलत ऐतिहासिक नतीजा आया। मैं अपनी लाडली बहनों का सबका लाडला भाई हूं। बहनों ने मुझे याद रखा और मेरी रक्षा की। मुझे हर चीज का पता है। कोई नाराज है कोई कहां गया ये मत पूछिए। इतनी बड़ी जीत है, ये ऐतिहासिक है। मेरा काम हमेशा महाराष्ट्र की जनता के लिए ही होगा।”
कुल मिलाकर देखा जाए तो एकनाथ शिंदे ने कहा है कि हमें भाजपा का मुख्यमंत्री स्वीकार है। बता दें, राजनीतिक जानकारों के अनुसार अजित पवार की ओर से देवेंद्र फडणवीस का समर्थन किए जाने के बाद से एकनाथ शिंदे गुट दबाव में था।
ऐसे में उन्होंने समझौता करना ही ठीक समझा ताकि सरकार में भी बने रहें औऱ विश्वास भी बना रहे। इसके बाद माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे की पार्टी को अब केंद्र सरकार में अच्छा प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
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