नई दिल्ली। अगर आप संगीत के शौकीन हैं और खासकर पश्चिमी संगीत सुनते हैं, तो आपने ‘द बीटल्स’ बैंड (‘The Beatles’ Band) के बारे में जरूर सुना होगा। 60 के दशक में दुनियाभर में अपने बेहतरीन संगीत के लिए इस बैंड को जाना जाता है। ‘द बीटल्स’ को इंग्लैंड के लिवरपूल में रहने वाले चार दोस्तों जॉन लेनन, पॉल मेकार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगों स्टार ने मिलकर बनाया था। 10 वर्षों तक यह बैंड सुपरहिट रहा था। आप सोच रहे होंगे कि मैं इस बैंड के बारे में आपको क्यों बता रहा हूं।
विदेशी हस्तियां योग के लिए भारत आते हैं
दरअसल, इस बैंड के बारे में मैं आपको इसलिए बता रहा हूं क्योंकि इस बैंड का भारत और खासकर महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) से एक खास रिश्ता था। उत्तराखंड के ऋषिकेश में शांति की खोज में कई लोग आते हैं। विदेशी हस्तियां भी ध्यान और योग के लिए भारत का रुख करती हैं। एप्पल के स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जकरबर्ग भी योग-ध्यान के लिए भारत के कायल रहे हैं।
लोगों को आकर्षित कर रहे थे महर्षि महेश योगी
60-70 के दशक में दुनिया भर के लोग भारत की ओर बड़े ध्यान से देख रहे थे। क्योंकि इस दौरान उन्हें आकर्षित कर रहे थे, “महर्षि महेश योगी”। उन्होंने ‘ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन’ के जरिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे। मशहूर रॉक बैंड द बीटल्स के सदस्य भी इनके अनुयायी थे। बीटल्स के कारण ही बाबा दुनियाभर में फेमस हो गए थे।
छत्तीसगढ़ के राजिम में हुआ था जन्म
महर्षि महेश योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उनका जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका में हुआ था। इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के बाद उन्हें 40 और 50 के दशक में हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा ली। इसके बाद उन्होंने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का ऐसा दावा किया कि देश-दुनिया के कई मशहुर लोग उनसे जुड़ गए। 70 के दशक तक महर्षि दिल्ली से अमेरिका तक छा चुके थे।
ऋषिकेश में की थी बीटल्स आश्रम की स्थापना
ऋषिकेश में उन्होंने 18 एकड़ में बीटल्स आश्रम की स्थापना की थी। यहां उनके विदेशी अनुयायी ज्यादा आते थे। महेश योगी दावा करते थे कि वे लोगों को उड़ना सिखाते हैं। उनके भक्त फुदकते हुए उड़ने की कोशिश भी करते थे। महेश योगी देश विदेश की यात्रा करते रहते थे। उन्होंने इन स्थानों पर लाखों की संख्या में अपने अनुयायी बनाए थे। नीदरलैंड्स प्रवास के दौरान उन्होंने ‘राम’ नाम की एक मुद्रा चला दी थी। जिसे साल 2003 में नीदरलैंड्स सरकार ने कानूनी मान्यता दे दी। राम नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पांच और दस के नोट थे। तब नीदरलैंड्स के कुछ गावों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चलने लगे थे।