नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने त्रिम्बकेश्वर में गोदावरी को जोड़ने वाली नदी में सीवर का गंदा पानी छोड़ने से रोकने में नाकाम रहने पर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है।
नदी में छोड़ा जा रहा सीवर का पानी
एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने कहा कि एक दिन में 4.5-5 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवर का पानी उत्पन्न होता है लेकिन सिर्फ सीवर के एक एमएलडी पानी के शोधन की व्यवस्था है।उसने कहा कि सीवर का शेष अशोधित पानी नदी में छोड़ा जा रहा है जिससे नदी का पानी नहाने तक के लिए उचित नहीं है लेकिन मानव और अन्य जीवों द्वारा इसे पीया जाता है जिससे उनके स्वास्थ्य पर हानिकारक असर पड़ता है।
2023 तक कार्रवाई का प्रस्ताव
पीठ ने कहा, ‘ हम महाराष्ट्र और उसके संबंधित अधिकारियों के अमानवीय आचारण पर सख्त नाराज़गी व्यक्त करते हैं और पिछले दो साल से अधिक समय में इस अधिकरण के बार-बार के आदेशों के बावजूद कार्रवाई नहीं करने के बाद अब अगस्त 2023 तक कार्रवाई का प्रस्ताव देते हैं।’पीठ ने कहा, ‘ हमें इसका कोई कारण नहीं मिला कि उच्चतम न्यायालय के 2017 के आदेश के बावजूद पहले ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं की गई और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक, दोषी अधिकारियों को अभियोजित क्यों नहीं किया जा रहा है। अनुशासनात्मक कार्रवाई दिखावा है और पूरी तरह से अपर्याप्त प्रतीत होती है और यह वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ नहीं की गई है जो इस स्थिति के लिए वास्तविक तौर पर जिम्मेदार हैं। ‘