रिपोर्ट – अर्जुन कुमार मौर्य
Maharajganj School Student Liquor: शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान जैसे आदर्श वाक्य महज किताबों तक सीमित रह गए हैं। इसका ताजा उदाहरण यूपी के महराजगंज जिले में देखने को मिला, जहां स्कूल ड्रेस पहने नौनिहाल किताबों की जगह शराब की पेटियां ढोते नजर आए। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया, लेकिन प्रशासन अब तक सोया हुआ है।
शिक्षा छोड़, शराब की सप्लाई में लगे बच्चे
परसामलिक थाना क्षेत्र के जमुहानी शराब भट्टी पर रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो में देखा जा सकता है कि छोटे-छोटे बच्चे शराब की पेटियां उठाकर ले जा रहे हैं। वीडियों में एक व्यक्ति (जिसे ठेके का मुनीब बताया जा रहा है) उनसे यह काम करवा रहा है। बाल श्रम कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, और जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है।
आबकारी विभाग अनजान, प्रशासन मौन
इस चौंकाने वाली घटना ने एक ओर जहां समाज को झकझोर कर रख दिया, वहीं प्रशासन और आबकारी विभाग को कोई फर्क ही नहीं पड़ा। जब उनसे इस बारे में पूछा गया, तो उनकी ओर से वही पुराना घिसा-पिटा जवाब मिला– “हमें इस मामले की जानकारी नहीं है, जांच करेंगे।”
बाल श्रम कानून का खुला उल्लंघन
बाल श्रम कानून के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का श्रम करवाना अपराध है, लेकिन यह मामला प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार का जिंदा सबूत बन गया है। शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान जैसे सरकारी दावे इस वीडियो के आगे दम तोड़ते नजर आ रहे हैं।
सरकार जहां एक ओर बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का दावा करती है, वहीं हकीकत यह है कि गरीब बच्चे स्कूल जाने के बजाय शराब के धंधे में झोंक दिए जाते हैं। सवाल उठता है कि जब नौनिहाल स्कूल में नहीं बल्कि ठेके पर काम कर रहे हैं, तो शिक्षा अभियान का असली फायदा किसे मिल रहा है?
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आखिर कब जागेगा प्रशासन?
यह मामला सिर्फ एक वीडियो तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं की असफलता की पोल खोलता है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस मामले को टालता रहेगा, या फिर दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी?
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