Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में जन आस्था के केंद्र सनातन धर्म के 13 अखाड़ों का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया। छावनी प्रवेश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े का पुष्व वर्षा से स्वागत किया गया।
ईष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में प्रवेश
आदि गुरू शंकराचार्य के प्रयास से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आए अखाड़ों की स्थापना शस्त्र और शास्त्र दोनों को आगे बढ़ाने के लिए की गई। शास्त्र ने अगर शंकर के धार्मिक चिंतन को जन-जन तक पहुंचाया तो वहीं शस्त्र ने दूसरे धर्मों से हो रहे हमलों से इसकी रक्षा की। इन्हीं अखाड़ों में शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़ा ने कुंभ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। अलोपी बाग स्थित अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से ये प्रवेश यात्रा निकाली गई। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।
नागा संन्यासी आकर्षण और आस्था का केंद्र
स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। ईष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालों के बाद कतार में नागा संन्यासी चल रहे थे। ये पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में 2 दर्जन से ज्यादा महामंडलेश्वर और 200 से ज्यादा नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनों तरफ दिखे।
सूर्य प्रकाश भाला आकर्षण का केंद्र
अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के ईष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था सूर्य प्रकाश नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुंभ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुंभ क्षेत्र में निकलता है।
जगह-जगह अखाड़े के संतों का प्रशासन ने किया स्वागत
5 किलोमीटर का रास्ता तय करके अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महाकुंभ प्रशासन की ओर से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।
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