हाइलाइट्स
- आम भक्तों के लिए नहीं खुलेगा महाकाल मंदिर का गर्भगृह
- कलेक्टर तय करेंगे की कौन जाएगा अंदर
- सुनवाई करते हुए कलेक्टर के आदेश को सही माना
Mahakaleshwar Temple: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के गर्भगृह में आम भक्तों के प्रवेश पर रोक को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि गर्भगृह में किसे प्रवेश मिलेगा यह कलेक्टर तय करेंगे। फिलहाल आम श्रद्धालु गर्भगृह में नहीं जा पाएंगे जबकि वीआईपी को अनुमति कलेक्टर के विवेक पर मिलेगी।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के गर्भगृह में आम भक्तों के प्रवेश पर रोक बरकरार रहेगी। सोमवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कलेक्टर के आदेश को सही माना। कोर्ट ने साफ कहा कि गर्भगृह (Sanctum Sanctorum) में किसे प्रवेश मिलेगा, यह पूरी तरह से कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में रहेगा।
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याचिका और तर्क
इस मामले में इंदौर के वकील दर्पण अवस्थी (Advocate Darpan Awasthi) ने जनहित याचिका दाखिल की थी। उन्होंने दलील दी कि मंदिर में दूर-दराज से आने वाले आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाता, जबकि वीआईपी और प्रभावशाली लोगों को विशेष अनुमति मिल जाती है। यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। गुरुवार को सुनवाई पूरी करने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और सोमवार को आदेश सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई नया आदेश नहीं आता, तब तक वर्तमान व्यवस्था ही लागू रहेगी। इसका मतलब है कि आम भक्त गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। याचिकाकर्ता पक्ष के वकील चर्चित शास्त्री (Advocate Churchit Shastri) ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे। उनका कहना है कि यह लाखों महाकाल भक्तों का मामला है और वे दोबारा अपनी बात कोर्ट के सामने रखेंगे।
विवाद और आस्था
महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) में से एक है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। गर्भगृह में प्रवेश को लेकर यह विवाद लंबे समय से चलता आ रहा है। भक्तों का कहना है कि सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए, जबकि प्रशासन इसे सुरक्षा और व्यवस्थापन से जोड़कर देखता है। इस याचिका में राज्य सरकार, महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, उज्जैन कलेक्टर और उज्जैन एसपी को भी पक्षकार बनाया गया है। अब देखने वाली बात होगी कि रिव्यू पिटीशन के बाद कोर्ट क्या रुख अपनाता है।
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